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Navratri 2019- हिंदू नववर्ष व पहले नवरात्रि का एक साथ जश्न मनाते हैं लोग

राजकीय व शासकीय कार्यों की शुरुआत भी इसी के हिसाब से होती है। इसी दिन से चैत्र पक्ष के नवरात्रि की शुरुआत भी है।

नईदिल्ली:6अप्रैल:Hindu-New-Year-Samvat-2076-and-Navratri-2019-वैसे तो लोग फर्स्ट जनवरी से नये साल की शुरूआत मानते हैं पर हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू नव वर्ष चैत्र मास (Navratri 2019)की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।

जो इस वर्ष आज से यानी 6 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। आज से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2076 (Hindu New Year, Samvat 2076) शुरू हो जाएगा।

कहते हैं कि 7 दिन का सप्ताह व 12 महीने के वर्ष में भी विक्रम संवत के अनुसार ही बने है। हिंदू अपने सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हिंदी नववर्ष के अनुसार ही करते हैं। राजकीय व शासकीय कार्यों की शुरुआत भी इसी के हिसाब से होती है। इसी दिन से चैत्र पक्ष के नवरात्रि की शुरुआत भी है।

कहते हैं कि इस दिन सृष्टि की रचना की गई।भगवान विष्णु के पहले अवतार का भी यही दिन माना जाता है।भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले देवी के नौ रूपों की पूजा इसी दिन से शुरू की थी।

तभी से माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने की प्रथा को नवरात्रि (Navratri 2019) का नाम दिया गया। माँ दुर्गा के द्वारा महिसासुर दैत्य को मारने की खुशी में भी नवरात्रि की शुरूआत मानी गई। देश के हर कोने में लगभग किसी न किसी रूप में नवरात्रि (Navratri 2019) मनाये जाते हैं।

बहुत कम लोगों को मालूम है कि नवरात्रि साल में चार बार आते हैं। उनमें दो नवरात्रि गुप्त होते हैं और योग साधना के लिए किये जाते हैं।चार बार का अर्थ यह कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन।

इसमे चैत्र व अश्विन पक्ष के नवरात्रि (Navratri 2019)आम लोगों में ज्यादा लोकप्रिय हैं।जो हर्षोल्लास से पूरे देश में मनाये जाते हैं।पर पौष व आषाढ़ पक्ष के नवरात्रि गुप्त नवरात्रि हैं। चैत्र व अश्विन पक्ष के नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूपों यानी नो देवियों की पूजा की जाती है।

वे नौ  देवियाँ हैं- शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है। ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली। कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।

स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता। कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि। कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वाली। महागौरी – इसका अर्थ- सतफेद रंग वाली मां सिद्धिदात्री ।

गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।माँ भगवती को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं।

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां: गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

लेकिन यह नवरात्रि साधू– संत ही ज्यादातर रखते हैं।गृहस्थ चैत्रपक्ष व अश्विन पक्ष के नवरात्रि करते हैं जो पूरे देश में अपने -अपने तरीके से मनाये जाते हैं बंगाल में अश्विन पक्ष के नवरात्रि दुर्गा पूजा के रूप मे मनाये जाते हैं।पंडाल सजाये जाते हैं।

गुजरात में डांडिया व गरबा का जबरदस्त प्रचलन है।पंजाब व हरियाणा में नौ दिन देवी माँ को घर पर बैठा पूजन किया जाता है।बीच में माँ के जगराते चलते हैं। अष्टमी व नवमी को कंचक व लोंगड़ा की पूजा कर प्रसाद बनाया जाता है।

लोग माँ की उपासना के साथ उपवास भी रखते हैं।पूरा देश जब बसंत के स्वागत में होता है तब प्रकृति भी अपने चरम पर होती है।फसल कटाई का वक्त भी होता है। ना ही सर्दी न ही ठंड होती है।

पेड़-पौधे फल-फूलों से लद जाते हैं ।नई कोपलों से भरे बिल्कुल दुल्हन से सज कर तैयार रहते हैं।इसलिए शायद चैत्र मास के नवरात्र की महत्ता और भी बढ़ जाती है ।फिर मर्यादा पुरूषोत्तम राम का जन्म भी नवमी को हुआ था।इस तरह नये साल व नवरात्रि के स्वागत में पूरा देश एक जोश से भर उठता है।

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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