azam khan disqualified as up mla after conviction in hate speech case
उत्तर प्रदेश (समयधारा) : आजम खान के साथ सबकुछ सही नहीं चल रहा l कई महीनों जेल में बिताने के बाद,
भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद जमानत पर रिहा हुए आजम खान को एक और झटका लगा l
उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने आजम खान की सदस्यता रद्द कर दी है (Azam Khan Disqualified)।
उत्तर प्रदेश विधानसभा (UP Legislative Assembly) सचिवालय ने यह घोषणा की।
भड़काऊ भाषण मामले (Hate Speech Case) में तीन साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद उनके खिलाफ ये एक्शन लिया गया है।
प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने कहा,अदालत की तरफ से पारित फैसले के कारण अयोग्यता के कारण
उप्र विधानसभा सचिवालय की तरफ से सीट खाली होने की घोषणा की गई है।
उत्तर प्रदेश में रामपुर की MP/MLA अदालत ने SP नेता और विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में बृहस्पतिवार को दोषी करार देते हुए,
तीन साल कैद और छह हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जुलाई 2013 में जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक,
अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा होती है,
तो संसद और विधानसभा से उनकी सदस्यता अदालत से सजा सुनाए जाने के दिन से खत्म हो जाएगी।
azam khan disqualified as up mla after conviction in hate speech case
यह मामला खान की तरफ से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन डीएम IAS आंजनेय कुमार सिंह के खिलाफ कथित भड़काऊ टिप्पणी से जुड़ा है।
अदालत ने खान और दो और लोगों पर जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने गुरुवार को खान को सजा के खिलाफ अपील दायर करने के लिए समय देने के अलावा मामले में जमानत दे दी है।
मिलक कोतवाली में वरिष्ठ सपा नेता के खिलाफ IPC की धारा 153 A (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 505 1 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान) के साथ साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इससे पहले दिन में, रामपुर के BJP नेता अखान सक्सेना ने भारत के चुनाव आयोग से अदालत के फैसले के मद्देनजर खान को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की अपली की थी।
सक्सेना इस साल के विधानसभा चुनाव में रामपुर सदर सीट से खान से हार गए थे।
सक्सेना ने PTI से कहा,मोहम्मद आजम खान रामपुर से मौजूदा विधायक हैं।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अगर किसी जनप्रतिनिधि को किसी अदालत से दो साल की सजा दी जाती है,
तो ऐसे प्रावधान हैं कि उस जनप्रतिनिधि की सदस्यता खत्म हो जाएगी।