BSF पर सियासत,केंद्र ने पंजाब-बंगाल में BSF की पावर बढ़ाई,गुजरात में घटाई,समझें खेल

दूसरे शब्दों में कहें तो, अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना भी BSF इन राज्यों के अधिकार क्षेत्र के अंदर गिरफ्तारी,तलाशी और जब्ती का अभियान जारी रख सकते है।

बीएसएफ को ज्यादा पावर दी गई

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नई दिल्ली:गृह मंत्रालय ने अब पंजाब में सीमा सुरक्षा बल(BSF) को ज्यादा पावर दे दी (BSF-power-expanded-in-Punjab by Centre)है।

केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल कानून में संशोधन करके पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ इंटरनेशनल बॉर्डर को साझा करने वाले तीन नए राज्यों- असम,पश्चिम बंगाल और पंजाब के भीतर 50किमी के दायरे में बिना वारंट गिरफ्तारी,तलाशी और जब्ती करने की शक्ति बीएसएफ के हाथों में दे दी(BSF-power-expanded-in-Punjab-Bengal-Assam-reduced-in-Gujarat-by Centre-know-controversy)है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना भी BSF इन राज्यों के अधिकार क्षेत्र के अंदर गिरफ्तारी,तलाशी और जब्ती का अभियान जारी रख सकते है।

बीएसएफ(BSF) को इन राज्यों में ज्यादा पावर देने के मुद्दे पर गृहमंत्रालय का दावा है कि सीमा पार से हाल ही में ड्रोन से हथियार गिराए जाने की घटनाओं को देखते हुए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करने का कदम उठाया गया है।

हालांकि बीएसएफ को ज्यादा पावर मिलने के मसले से सियासी घमासान भी तेज हो गया है और इस कदम से राज्यों की स्वायत्तता पर बहस तेज हो गई है।

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पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी(Punjab CM Charanjit Singh Channi)ने पंजाब में बीएसएफ को ज्यादा पावर देने के केंद्र के फैसले का विरोध किया है। 

चरणजीत सिंह चन्नी कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार देने के सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं, जो संघवाद पर सीधा हमला है। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं।”

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BSF को ज्यादा शक्ति देने पर क्या है गृह मंत्रालय का दावा?

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एमएचए(Ministry of Home Affair) का दावा है कि यह निर्णय 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए लिया गया है, लेकिन यह प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दों को भी उठा सकता है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का दावा है, “यह राजनीतिक रूप से बहुत ही संवेदनशील कदम है। बीएसएफ का मुख्य उद्देश्य सीमाओं की रक्षा करना और घुसपैठ को रोकना है। हाल के मामलों से पता चला है कि वे इस नई रेखा की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैं।”

उनके अनुसार, जब तलाशी और बरामदगी की जाती है, तो इससे स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों के साथ भी नियमित रूप से टकराव हो सकता है।

उन्होंने कहा, “उनकी परिचालन ड्यूटी सीमा चौकियों के आसपास है, लेकिन इन नई शक्तियों के साथ वे कुछ राज्यों के अधिकार क्षेत्र में भी अच्छी तरह से काम करेंगे।”

 

क्या कहना है BSF का?

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बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “अगर हमारे पास किसी मामले में खुफिया जानकारी है, तो हमें स्थानीय पुलिस के जवाब का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हम समय रहते निवारक कार्रवाई कर सकते हैं।”

नई अधिसूचना के अनुसार, बीएसएफ अधिकारी पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में गिरफ्तारी कर सकेंगे और तलाशी ले सकेंगे।

BSF को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), पासपोर्ट अधिनियम और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम के तहत यह कार्रवाई करने का अधिकार मिला है।

असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में बीएसएफ को राज्य पुलिस की तरह ही तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार मिला है।

MHA ने भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) से भारतीय क्षेत्र के अंदर 50 किमी के क्षेत्र में छापे और गिरफ्तारी की अनुमति दी है।

पहले यह रेंज 15 किमी थी। इसके अलावा, बीएसएफ नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और लद्दाख में भी तलाशी और गिरफ्तारी कर सकेगी।

 

बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र गुजरात में कम किए गए

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हालांकि, इसके साथ ही गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को कम कर दिया गया(BSF-area-reduced-in-Gujarat)है और एकरूपता लाने के लिए सीमा की सीमा 80 किमी से घटाकर 50 किमी कर दी गई है, जबकि राजस्थान में त्रिज्या क्षेत्र को पहले की तरह 50 किमी रखा गया है।

पांच पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर(Jammu and Kashmir) और लद्दाख(Laddakh) में कोई सीमा निर्धारित नहीं है।

अधिकारियों का दावा है कि इन राज्यों में बीएसएफ को आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया गया है, इसलिए वे उसी के मुताबिक काम करते हैं।

अब BSF संज्ञेय अपराध में शामिल व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है

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-नई अधिसूचना सीआरपीसी के तहत बीएसएफ के सबसे निचले रैंक वाले सदस्य के रैंक के अधिकारी को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारंट के बिना शक्तियों और कर्तव्यों का प्रयोग करने और निर्वहन करने का अधिकार देती है।

-अधिकारी को अब ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है जो किसी भी संज्ञेय अपराध में शामिल है, या जिसके खिलाफ उचित शिकायत की गई है, या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है।

-एक बीएसएफ अधिकारी को अब अपने अधिकार क्षेत्र के नए क्षेत्र में गिरफ्तार किए जाने की मांग करने वाले व्यक्ति द्वारा दर्ज की गई जगह की तलाशी करने की शक्ति दी गई है।

-सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 की धारा 139 केंद्र को समय-समय पर सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्र और संचालन की सीमा को अधिसूचित करने का अधिकार देती है।

-केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमावर्ती क्षेत्रों के ‘अनुसूची’ को संशोधित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है, जहां बीएसएफ के पास पासपोर्ट अधिनियम, एनडीपीएस अधिनियम और सीमा शुल्क अधिनियम जैसे अधिनियमों के तहत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की शक्तियां होंगी।

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Radha Kashyap: