Maharashtra Politics Milind Deora Resigned From Congress Joined Shinde ShivSena
मुंबई (Mumbai) : एक तरफ जहाँ राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा की आज शुरुआत करने वाले है तो दूसरी तरफ उन्हें बड़ा झटका देते हुए…
महाराष्ट्र के उनके वफादारों में से एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली देवड़ा (Murli Deora) के पुत्र भूतपूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) ने कांग्रेस (Congress) पार्टी से इस्तीफा दे दिया है l
इस्तीफे के बाद उन्होंने अपनों पहली प्रतिकिया’ में कहा की मैंने विकास के मार्ग पर चलने के लिए अग्रसर हो रहा हूँ ..!
उनके इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया l
गौरतलब है की मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के बेहद ही मजबूत स्तंभों में से एक गिने जाते थे पर उनका इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है l
वह जल्द ही एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामने जा रहे है l यानी वह जल्द ही शिंदे-शिवसेना पार्टी में शामिल हो जायेंगे l
इससे पहले,
Shiv Sena MLAs Row:
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई वाले शिवसेना विधायकों के अयोग्यता मामले पर विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर (Maharashtra Assembly speaker Rahul Narwekar) का फैसला आ गया है।
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के शिवसेना को ही असली माना है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता संबधी याचिकाओं पर नार्वेकर ने 10 जनवरी को शाम 6 बजे बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया।
स्पीकर का यह फैसला महाराष्ट्र की पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
Maharashtra Politics Milind Deora Resigned From Congress Joined Shinde ShivSena
नार्वेकर ने कहा, 21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट बना तब शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में शिंदे गुट को शिवसेना के 55 में से 37 विधायकों का समर्थन था।
नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना प्रमुख को किसी भी पार्टी नेता को बर्खास्त करने का कोई अधिकार नहीं है। स्पीकर ने सीएम शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना और पार्टी के असली नेता हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुट) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है।
दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं।
मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा।
उन्होंने कहा कि मैं चुनाव आयोग के आदेश के विपरित नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि शिवसेना का संविधान नेतृत्व संरचना की सीमा की पहचान को लेकर प्रासंगिक है।
राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का संविधान वास्तविक संविधान है,
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जिसे शिवसेना का संविधान कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता (उद्धव गुट) के इस तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते कि 2018 के पार्टी संविधान पर निर्भर किया जाना चाहिए।
स्पीकर ने कहा कि शिवसेना के 2018 के संविधान पर विचार करने की उद्धव ठाकरे गुट की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने नार्वेकर के लिए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के दोनो गुटों द्वारा दायर याचिकाओं पर निर्णय लेने की समय सीमा 10 जनवरी तक बढ़ा दी थी।
जून 2022 में शिंदे एवं अन्य विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके बाद शिवसेना दो फाड़ हो गई थी।
ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार का पतन हो गया था, जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) मुख्य घटक थे।
शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में नार्वेकर को याचिकाओं पर जल्द फैसला करने का निर्देश दिया था।
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चुनाव आयोग ने विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष बाण’ चुनाव चिह्न आवंटित किया था।
जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे की अगुवाई वाले गुट को शिवसेना (UBT) नाम और चुनाव चिह्न के तौर पर ‘मशाल’ आवंटित किया गया था।
बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी विभाजन हो गया और पार्टी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी का एक धड़ा महाराष्ट्र की शिंदे-BJP गबंधन सरकार में शामिल हो गया था।
महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव अगले साल 2025 में होना है।
शिवसेना के विभाजन के बाद शिंदे गुट के पास 40 विधायक और 13 सांसद हैं। जबकि उद्धव ठाकरे गुट के पास 16 विधायक और 6 सांसद हैं।
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