कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से देश में कोई मौत नहीं?विपक्ष हमलावर

विश्व पटल पर ऑक्सीजन के निर्माता भारत के लिए दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझने को दुनियाभर ने देखा।

भारत में कोरोना से मौतें 47 लाख-डब्ल्यूएचओ

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नई दिल्ली:कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन(Oxygen) की कमी का ताडंव पूरे देश ने देखा,

लेकिन केंद्र सरकार का दावा है कि दूसरी लहर में देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं(No-deaths-due-to-lack-of-oxygen-in-India-says-centra)l हुई।

इसके लिए सरकार ने तर्क दिया है कि ऑक्सीजन की कमी(Oxygen Shortage India)से हुई मौतों का कोई भी आंकड़ा उसे राज्यों से नहीं मिला,अब सरकार के इस कुतर्क पर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हल्लाबोल(opposition-takes-on-govt)किया है।

भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व ने देखा कि कोरोनावायरस(Coronavirus)की दूसरी लहर में देश के बड़े से बड़े अस्पतालों में हजारो लोग महज ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ते नजर आएं।

कई पति-पत्नी ने अपने हमसफर को, कई बच्चों ने अपने माता पिता को,कई माता-पिता ने अपने बच्चों को सिर्फ इसलिए खो दिया चूंकि उस समय देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी।

विश्व पटल पर ऑक्सीजन के निर्माता भारत के लिए दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझने को दुनियाभर ने देखा।

अब ऐसे में केंद्र सरकार का सदन में यह कहना की देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई,देशवासियों की भावनाओं के साथ असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है।

अब आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है।

 

चलिए आपको बताते है देश में ऑक्सीजन किल्लत पर सरकार और नेताओं के बड़े बयान:

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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा कि ऑक्सीजन की कमी से देश में बहुत सारी मौतें हुईं। दिल्ली में भी ऐसा वाकया देखने को मिला।
यह कहना एकदम गलत है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो अस्पताल हाईकोर्टों का दरवाजा क्यों खटखटाते।
केंद्र सरकार तो यह भी कह सकती है कि देश में कोई महामारी आई ही नहीं।
-आप सरकार ने कहा, दिल्ली में हमने ऑक्सीजन से हुई मौतों की जांच के लिए ऑडिट कमेटी बनाई थी। अगर वो पैनल अब भी वहां होता तो आसानी से आंकड़ा मुहैया कराया जा सकता था।
लेकिन केंद्र सरकार ने एलजी के जरिये रिपोर्ट सौंपने की इजाजत नहीं दी। दिल्ली सरकार ने ऐसी मौतों पर 5 लाख रुपये मुआवजे की पेशकश की थी, लेकिन एलजी अनिल बैजल ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वयं ही एक पैनल गठित किया है।
राज्यसभा (Rajya Sabha) में मंगलवार को दिए लिखित जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य केंद्र सरकार को नियमित तौर पर कोरोना के मामले और मौतों की जानकारी देते रहते हैं।
लेकिन राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार को कोई विशेष आंकड़ा नहीं दिया है।
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स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Health Minister Mansukh Mandaviya) ने संसद को बताया कि प्रधानमंत्री जी लगातार राज्यों से कहते रहे हैं कि कोरोना से हुई मौतों का रजिस्टर किया जाए, छिपाने का कोई कारण नहीं है। यह राज्यों की जिम्मेदारी है।

हम राज्यों की ओर से प्रदान किए गए डेटा को संकलित करते हैं. केंद्र सरकार को यही करना होता है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी इस बयान को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। राउत ने कहा, मैं स्तब्ध हूं, उन परिवारों के लिए जिनके अपने मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से दुनिया से चले गए।

उन परिवारों को यह सुनकर कैसा लगा होगा। इन परिवारों को सरकार के खिलाफ मुकदमा दाखिल करना चाहिए।

 

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदियाने कहा कि केंद्र झूठ बोल रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन का कोई संकट नहीं था।

 

-सरकार अपनी कमी छिपाने का प्रयास कर रही है. उसकी नीति ही विनाशकारी थी।

 

-दिल्ली में जयपुर गोल्डन हास्पिटल में ही ऑक्सीजन की कमी से 25 कोरोना मरीजों की मौत हुई थी। इसी ट्रैजडी में गौरव गेरा और उनकी बहर भारती ने अपने परिजनों को खो दिया।

हम संसद में सरकार का बयान सुनकर दुखी हैं। उन्होंने कहा, मेरे पिता ठीक थे, रात में अस्पताल से कॉल आई कि उन्हें बचाया नहीं जा सका।

डॉक्टर ने हमें ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताया. हमने अपने परिजनों को खो दिया, लेकिन राजनीति अभी भी जारी है।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 61 साल के एक शख्स की मौत हो गई, क्योंकि उसका परिवार ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम नहीं कर सका।

उनके एक बेटे ने कहा, हमने कई अस्पतालों का चक्कर लगाया, कोई बेड औऱ ऑक्सीजन नहीं थी। तो हमने पिता को वापस घर ले आए। लेकिन वो चल बसे, क्योंकि हम उनके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर पाए।

अगर ऑक्सीजन आसानी से मिल रही होती तो हमें 10-12 घंटे लाइन में क्यों खड़े होना पड़ता।

 

भारत में कोरोना की दूसरी लहर(Corona second wave)के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट कई राज्यों में सामने आया था। इसमें यूपी, दिल्ली भी शामिल थे। अस्पतालों में बेड औऱ ऑक्सीजन न मिलने से तमाम मरीजों ने दम तोड़ दिया।

 

 

-सोशल मीडियापर बेहाल मरीजों और उनके मरीजों के वीडियो ने सबको झकझोर दिया। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इन मामलों की सुनवाई चली।

 

 

-ऑक्सीजन की कमी, सिलेंडरों की कालाबाजारी औऱ अस्पतालों में बेड न मिलने से बेहाल मरीजों और उनके परिजनों के मुद्दों पर लंबी सुनवाई का दौर अदालतों में चला।

भारत में अब COVID-19 केस तेजी से नीचे आ रहे हैं, लेकिन तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है।

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Radha Kashyap: