राजनीति

मोदी-उद्धव मुलाकात : मैं PM से अलग से व्यक्तिगत रूप से मिलूं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं-ठाकरे

मैं कोई नवाज शरीफ से नहीं मिलने गया था, मेरे प्रधान मंत्री के साथ अच्छे संबंध - उद्धव ठाकरे

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PM Modi Uddhav Thackeray meeting  all updates in hindi

नई दिल्ली (समयधारा) : देशभर में कोरोना की दूसरी लहर का कहर कम हो रहा है l

ऐसे में अब दूसरें अन्य मुद्दे फिर आवाज उठाने शुरू हो गए है l आरक्षण भी एक मुद्दा है l पिछले दिनों महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर बड़ा बवाल उठा था l 

तब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 10 प्रतिशत आरक्षण(EWS के तहत) देने की बात कही थी l 

अब कल शरद पवार से मुलाक़ात के बाद मंगलवार को दिल्ली पहुंचे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के मुद्दे पर कथित तौर पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की।

बैठक के बारे में बोलते हुए, ठाकरे ने कहा कि बैठक पर्सनल थी और राजनीतिक नहीं थी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके प्रधान मंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं।

मुख्य मंत्री ठाकरे ने कहा, “हम राजनीतिक रूप से एक साथ नहीं हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमारा रिश्ता टूट गया है।

मैं कोई नवाज शरीफ से नहीं मिलने गया था। इसलिए अगर मैं प्रधानमंत्री से अलग से व्यक्तिगत रूप से मिलूं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”

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ANI की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ठाकरे ने पिछले महीने पीएम मोदी को राज्य में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा (SEBC) घोषित करने के लिए कदम उठाने के लिए पत्र लिखा था,

ताकि वे उन्हें शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में क्रमशः कम से कम 12 प्रतिशत और 13 प्रतिशत तक आरक्षण मिल सके।

ठाकरे का राष्ट्रीय राजधानी का दौरा ऐसे समय हुआ, जब शिवसेना के मुखपत्र सामना ने 31 मई को अपने संपादकीय में कहा कि मराठा आरक्षण की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी।

इसमें कहा गया कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दिल्ली का दरवाजा खटखटाना जरूरी हो गया है।

संपादकीय में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा गया कि आरक्षण को लेकर ऐसा कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है।

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शीर्ष अदालत द्वारा मराठा समुदाय को दिए गए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) आरक्षण को रद्द करने के हफ्तों बाद,

महा विकास अघाड़ी सरकार ने 31 मई को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया था कि

मराठा समुदाय के पात्र उम्मीदवार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के तहत लाभ उठा सकते हैं।

EWS कोटा उन सभी के लिए खुला है, जो किसी दूसरे कोटा में शामिल नहीं हैं और जिनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम है।

मराठा संगठन आरक्षण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

मराठा क्रांति मोर्चा ने बीजेपी की सहयोगी शिव संग्राम पार्टी के प्रमुख विनायक मेटे के नेतृत्व में शनिवार को बीड में आंदोलन किया।

मराठा नेता और BJP के सांसद  संभाजीराजे छत्रपति, छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज,

को भी पिछले हफ्ते मराठा योद्धा राजा के राज्याभिषेक दिवस के अवसर पर रायगढ़ किले में एक समारोह में शामिल होना था।

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सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया मराठा आरक्षण

दरअसल 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय को नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण देने के महाराष्ट्र कानून को रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा कोटा (Maratha reservation) को रद्द करते हुए कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती।

अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे इंद्रा साहनी के फैसले से निर्धारित 50 फीसदी की सीमा से अधिक का औचित्य साबित करने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं मिली।

सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय को दिए आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा तय करने वाले फैसले पर फिर से विचार की जरूरत नहीं है।

समयधारा डेस्क