सी. पी. राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति एनडीए को बड़ी जीत विपक्ष के 14 सांसद ने की क्रॉस वोटिंग

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की, उन्होंने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर इस पद पर कब्जा जमाया, राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट ही हासिल हो पाए.

सी. पी. राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति एनडीए को बड़ी जीत विपक्ष के 14 सांसद ने की क्रॉस वोटिंग

Vice-President-Election-2025-NDA-CP-radhakrishnan-Win

नई दिल्ली: सी. पी. राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति: एनडीए को बड़ी जीत

भारत की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर इस पद पर कब्जा जमाया। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट ही हासिल हो पाए।

यह जीत न सिर्फ एनडीए की ताकत को दिखाती है बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि संसद के दोनों सदनों में अभी भी सत्तारूढ़ गठबंधन की पकड़ मजबूत है।


चुनावी नतीजों का ब्योरा

  • उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 767 वोट डाले गए।
  • इनमें से 752 वोट वैध पाए गए जबकि 15 वोट अवैध घोषित कर दिए गए।
  • राधाकृष्णन को मिले 452 वोट और विपक्षी उम्मीदवार को मिले 300 वोट
  • इस चुनाव के लिए संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान चला।
  • कुल 768 सांसदों ने मतदान किया, लेकिन कुछ सांसद अनुपस्थित रहे।

भारत की संसद में लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 788 सदस्य होते हैं। वर्तमान में 7 सीटें रिक्त हैं, यानी कुल 781 सांसदों को वोट करना था। इनमें से 13 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

Vice-President-Election-2025-NDA-CP-radhakrishnan-Win

अनुपस्थित रहने वाले सांसदों में बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) के 4, बीजेडी (बीजू जनता दल) के 7, शिरोमणि अकाली दल का 1 सांसद और 1 निर्दलीय सांसद शामिल थे।


एनडीए की रणनीतिक जीत

एनडीए ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। एनडीए के 427 सांसदों ने वोट किया और लगभग सभी ने अपने उम्मीदवार को समर्थन दिया। इस परिणाम ने साफ कर दिया कि भाजपा और उसके सहयोगियों के बीच तालमेल अभी भी मजबूत है।

सी. पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनके चुनाव से दक्षिण भारत में पार्टी की रणनीति और भी मजबूत होगी। भाजपा लंबे समय से दक्षिण भारत में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है और राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद पर चुना जाना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


विपक्ष की चुनौती और हार के कारण

विपक्ष ने इस चुनाव में बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया था। वे आंध्र प्रदेश से आते हैं और एक वरिष्ठ वकील रहे हैं। विपक्ष ने उन्हें संविधान और न्यायपालिका की समझ रखने वाला चेहरा बताकर मैदान में उतारा था।

लेकिन विपक्ष की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी एकजुटता की कमी रही। वोटिंग से पहले ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि विपक्षी दलों में पूर्ण सामंजस्य नहीं है। कई क्षेत्रीय दल या तो वोटिंग से अनुपस्थित रहे या खुलकर विपक्ष का साथ नहीं दे पाए।

बीजेडी और बीआरएस जैसे दलों की अनुपस्थिति ने विपक्ष की संभावनाओं को और कमजोर कर दिया। यही वजह रही कि विपक्ष को केवल 300 वोट ही मिल सके।


उपराष्ट्रपति पद का महत्व

भारत में उपराष्ट्रपति का पद बहुत ही महत्वपूर्ण है। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर होते हैं।

  1. राज्यसभा के सभापति – उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है।
  2. राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी – यदि राष्ट्रपति अस्वस्थ हो जाएँ, विदेश यात्रा पर हों या उनका निधन हो जाए तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाते हैं।
  3. संवैधानिक संतुलन – उपराष्ट्रपति सदन में निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं।

इस लिहाज़ से सी. पी. राधाकृष्णन का चुनाव बेहद अहम है। आने वाले समय में वे संसद की कार्यवाही को कितनी प्रभावी और संतुलित तरीके से संचालित करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

Vice-President-Election-2025-NDA-CP-radhakrishnan-Win


सी. पी. राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सी. पी. राधाकृष्णन लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं। वे तमिलनाडु से दो बार सांसद रह चुके हैं और पार्टी संगठन में भी कई पदों पर कार्य कर चुके हैं।

उनकी पहचान एक सुलझे हुए और साफ-सुथरी छवि वाले नेता के रूप में है। दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत करने में उनका योगदान हमेशा चर्चा में रहा है। उपराष्ट्रपति पद पर उनकी नियुक्ति से दक्षिण भारत में पार्टी के लिए नई संभावनाएँ खुल सकती हैं।


संसद में समीकरण और आने वाले चुनाव

यह जीत संसद में मौजूदा शक्ति संतुलन को भी दर्शाती है। एनडीए अभी भी संख्याबल के मामले में आगे है। हालांकि, कुछ क्षेत्रीय दलों का तटस्थ रहना यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए नए समीकरण बनाने की चुनौती बनी रहेगी।

2024 के आम चुनावों के बाद से संसद में भाजपा और एनडीए की स्थिति मजबूत रही है। लेकिन क्षेत्रीय दलों की भूमिका भविष्य की राजनीति में निर्णायक हो सकती है।


विपक्ष के लिए सीख

विपक्ष की हार से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल संयुक्त उम्मीदवार उतारने से सफलता नहीं मिलती। जब तक क्षेत्रीय दलों और राष्ट्रीय दलों के बीच ठोस एकजुटता नहीं होगी, तब तक विपक्ष सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती नहीं दे पाएगा।

विपक्ष को यह भी समझना होगा कि एनडीए न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में विपक्ष को क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए रणनीति बनानी होगी।


निष्कर्ष

एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन की जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि संसद में एनडीए की स्थिति अभी भी मजबूत है। यह चुनाव न सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया थी बल्कि राजनीतिक ताकत का भी प्रदर्शन था।

  • राधाकृष्णन की जीत से भाजपा को दक्षिण भारत में एक बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा।
  • विपक्ष को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे।
  • आने वाले वर्षों में संसद की कार्यवाही और राजनीतिक संतुलन काफी हद तक राधाकृष्णन के नेतृत्व पर निर्भर करेगा।

भारत के नए उपराष्ट्रपति के रूप में सी. पी. राधाकृष्णन का कार्यकाल न सिर्फ संसद बल्कि देश की राजनीति के लिए भी अहम साबित हो सकता है।

Vice-President-Election-2025-NDA-CP-radhakrishnan-Win


क्या आप चाहेंगे कि मैं इस लेख का एक क्रिस्पी 150–200 शब्दों का न्यूज़-स्टाइल सारांश भी तैयार कर दूँ जिसे अख़बार/न्यूज़ पोर्टल पर तुरंत इस्तेमाल किया जा सके?

Radha Kashyap: