राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त, महानवमी कन्या पूजन समय
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नई दिल्ली:चैत्र नवरात्रि(Chaitra Navratri 2024) के नौवें दिन प्रभु श्री राम को समर्पित राम नवमी मनाई जाती है। आज ही चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन है।
चैत्र नवरात्रि(Chaitra Navratri) के अंतिम दिन दुर्गा मां(Durga Maa) के सिद्धिदात्री(Siddhidhatri)स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। इसलिए आज के दिन को महानवमी(MahaNavami 2024)भी कहा जाता है।
हिंदू पंचागानुसार,इस वर्ष राम नवमी या महानवमी,17 अप्रैल 2024,बुधवार यानि आज है। आज देशभर में राम नवमी(RamNavami 2024)का त्यौहार पूरे हर्षोंउल्लास के साथ मनाया जाएगा।
लेकिन इस वर्ष राम नवमी की सर्वाधिक धूम अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रहेगी।
चूंकि पूरे 500 सालों बाद अयोध्या में प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव राम नवमी आज,7 अप्रैल 2024,बुधवार को धूमधाम से श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है।
श्रद्धालु का तांता तड़के राम मंदिर(Ram Mandir,Ayodhya) में लगना शुरू हो गया है और भगवान राम के बालक रूप की छटा मात्र देखने के लिए भक्तगण देश और विदेशों से भी अयोध्या के राम मंदिर पहुंच रहे है।
इसके साथ ही समस्त हिंदू धर्म के लोग अपने-अपने घरों,ऑफिसों और मंदिरों में आज राम जन्मोत्सव रामनवमी और नवरात्रि के अंतिम दिन महा नवमी की पूजा-आराधना कर रहे है।
इस साल चैत्र नवरात्रि का त्यौहार मंगलवार,9 अप्रैल 2024(Chaitra Navratri 2024) को शुरू हुआ था,जिसका समापन आज रामनवमी और महानवमी पर क्रमश; प्रभु श्रीराम की पूजा और मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना व कन्या पूजन के साथ होने जा रहा(Ram-Navami-MahaNavami-2024-puja-shubh-muhurat-Kanya-pujan-vidhi-time)है।
दुर्गा मां के नौ स्वरूपों को समर्पित चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आने वाले नवरात्रि(Navratri) को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।
इसमें भक्तगण पूरे नौ दिन माता के विभिन्न रूपों की पूजा करते हुए व्रत का पालन करते है।
नवरात्रि के अंतिम दिन यानि राम नवमी या महानवमी को नौ दिनों के व्रत का पारण किया जाता है और कंचक बैठाई जाती है।
मान्यता है कि राम नवमी व महानवमी के दिन भगवान राम,माता सीता,लक्ष्मण और हनुमान जी व मां दुर्गा की पूजा आराधना करने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि व शांति का आवागमन होता है और सभी कष्ट मिट जाते है।
ऐसे में जरुरी है कि आप जान लें कि आज यानि महानवमी व राम नवमी के दिन वो कौन सा शुभ मुहूर्त(Ram-Navami-MahaNavami-2024-puja-shubh-muhurat-Kanya-pujan-vidhi-time) है जिसमें पूजा करने से मां वैष्णवी और प्रभु श्रीराम की कृपा आपके ऊपर और आपके परिवार पर सदा बनी रहेगी।
रामनवमीं के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम(Ram) का जन्म हुआ था। दरअसल, जब श्री राम ने जन्म लिया था तब चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी दोपहर(Navami)थी और कर्क लग्न था।
इसी कारण चैत्र नवरात्र(Chaitra Navratri)की नवमी तिथि को राम नवमी के रूप में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
इतना ही नहीं, राम नवमीं के दिन मां दुर्गा(Durga ma) के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा(Siddhidhatri Mata puja)की जाती है। इस दिन उपवास रखने की भी मान्यता है।
राम नवमीं के दिन मां सिद्धिदात्री सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और कष्ट हरती है।
इसके साथ ही मान्यता है कि रामनवमीं की पूजा शुभ मुहूर्त(Ram-Navami-2022-puja-shubh-muhurat-Kanya-pujan-vidhi-time)में करने से प्रभु राम सुख-संपत्ति के साथ,सुरक्षित जीवन और सम्मान का आशीर्वाद प्रदान करते है।
पुण्य फल की प्राप्ति के लिए रामनवमीं पर आप राम रक्षा स्रोत का पाठ कर सकते है और अगर आप स्रोत पढ़ने में असमर्थ है तो महज एक श्लोक पढ़कर भी आप श्री राम की कृपा प्राप्त कर सकते है।
श्री राम का मुख्य मन्त्र है- ‘रां रामाय नम:’ आज इस मन्त्र का जप करने से आपको सुख और सम्मान की प्राप्ति होगी।
इस वर्ष राम नवमी 17 अप्रैल 2024, बुधवार को मनाई जा रही है।
नवमी तिथि प्रारम्भ- 16 अप्रैल 2024,दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 17अप्रैल 2024, दोपहर 03.14 मिनट पर समाप्त
राम नवमी पूजा का शुभ मूहर्त-
17 अप्रैल 2024 को प्रभु श्रीराम की पूजा के लिए इस वर्ष भक्तों को कई दुर्लभ योग मिल रहे है लेकिन वाल्मीकि रामायण के अनुसार,प्रभु श्रीराम का जन्म कर्क लग्न में दोपहर 12 बजे हुआ था।
इसलिए भगवान राम का जन्मोत्सव अयोध्या के राम लला मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान भगवान राम का सूर्य तिलक भी दोपहर 12 बजे विधिवत किया जा रहा है।
भगवान राम जी की पूजा-अराधना के लिए आपको 2 घंटे 35 मिनट का शुभ मुहूर्त मिल रहा है।
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वैसे 11 बजकर 50 मिनट से लेकर 1 बजकर 38 मिनट तक का समय भी पूजन के लिए लिया जा सकता है।
17 अप्रैल को दोपहर 12:29 बजे से 01:54 तक राहुकाल रहेगा। ये करीब-करीब डेढ़ घंटे का रहेगा। इस समय में पूजा न करें। पूजा पाठ और अन्य शुभ कामों के लिहाज से राहुकाल को अच्छा नहीं माना जाता है।
-सबसे पहले आप राम नवमीं के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर भगवान राम का ध्यान करें और व्रत रखने का संकल्प लें।
-फिर इसके बाद पूजा की थाली में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें।
-रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झूलाएं।
-इसके बाद राम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें। इसके साथ ही रामायण का पाठ तथा राम रक्षास्त्रोत का भी पाठ करें।
-भगवान राम को खीर, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं। पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या के माथे पर तिलक लगाएं और श्री राम की आरती उतारें।
-पूजा आदि के बाद हवन करने का भी विधान है | आज तिल, जौ और गुग्गुल को मिलाकर हवन करना चाहिए |
-हवन में जौ के मुकाबले तिल दो गुना होना चाहिए और गुग्गुल आदि हवन सामग्री जौ के बराबर होनी चाहिए |
-राम नवमी के दिन घर में हवन आदि करने से घर के अन्दर किसी भी प्रकार की अनिष्ट शक्ति का प्रवेश नहीं हो पाता और घर की सुख-समृद्धि सदैव बनी रहती है।
राम नाम का जाप करने के लिए इस प्रकार बनाएं राम यंत्र
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–राम यंत्र बनाने के लिये आपको एक भोजपत्र, अनार की कलम और केसर की स्याही की जरूरत होगी लेकिन अगर आप इन सब चीज़ों को ना जुटा पायें, तो आप केवल एक सफेद कागज और एक लाल स्केच पेन या पेन लें |
-अब भोजपत्र पर या सफेद कागज पर एक बिंदू बनाइये | फिर इस बिंदू के बाहर एक त्रिकोण बनाइये |
-अब फिर से उस त्रिकोण के विपरीत एक और त्रिकोण बनाइये | इस तरह ये एक षटकोण बन जायेगा |
-अब षटकोण के बाहर एक वृत्त बनाइये | फिर वृत्त के बाहर 8 कमल की पंखुड़िया बनाईए |
-राम यंत्र बनाते समय हर स्टेप को करने की एक ही प्रक्रिया है | वह प्रक्रिया यह है- सबसे पहले पूर्व दिशा में श्री राम का स्मरण करते हुए अपनी आँखों को बंद करके, दोनों भौहों के बीच त्रिपुटी पर अपना ध्यान केंद्रित करें और ऊँ शब्द का सस्वर 6 बार उच्चारण करें ।
-फिर दाहिनी नाक से सांस खींचिएं, रोकिए और श्री राम का स्मरण करके बाईं नाक से निकाल दीजिए ।
-ऐसा 6 बार करना है । फिर ‘राम’ शब्द का सस्वर 108 बार उच्चारण करके अपनी आँखें खोलिये।
-इस प्रकार आपका यंत्र तैयार हो जायेगा।
नवमी तिथि 16 अप्रैल से शुरू हो चुकी है, ऐसे में आप जब 17 की सुबह उठेंगे तब रामनवमी ही रहेगी।
इस बीच आप राहुकाल को छोड़कर 03:14 बजे तक यानी नवमी तिथि समाप्त होने तक कभी भी पूजा या हवन कर सकते हैं।
नवरात्रि की महानवमी 17 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी. रामनवमी का मध्याह्न मुहूर्त दिन में 11 बजकर 10 मिनट से 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में हवन करना शुभ होगा.
नवरात्रि के नौवें यानि अंतिम दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना विधिवत की जाती है। माता सिद्धिदात्री की पूजा से सर्व सिद्धियां और मोक्ष प्राप्त होता है।
मां सिद्धिदात्री के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा ताथा बायी तरफ एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है।
मां सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती है. नवरात्रि के नौवें विधि-विधान से मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से सिद्धियां पाप्त होती है।
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चैत्र नवरात्रि के हर दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवमी पूजा के बाद नवरात्र समाप्त हो जाएगा।
नवमी तिथि 17 अप्रैल 2024 दिन बुधवार को है। रामनवमी के दिन एक विशेष मुहूर्त बन रहा है। इस दिन 11 बजकर 40 मिनट से लेकर के 1 बजकर 40 मिनट के बीच में एक अभिजित मुहूर्त बन रहा है।
इस बीच में मां दुर्गा की विधान से पूजा करें और आरती करने के बाद भोग लगाएं।
इसके बाद कंचक बैठाएं और उन्हें भोजन खिलाएं और यथा सामर्थ्य उन्हें भेंट दे। इसके बाद आप अपने व्रत का पारण कर सकते है।
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-पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, कन्या पूजन के लिए एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण दिया जाता है।
-कन्याओं के घर में आवागमन पर उनके पैरों को धोना चाहिए।
-इसके बाद उन्हें उचित स्थान पर बैठाना चाहिए।
-फिर कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं।
-इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।
-भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
महानवमी 17 अप्रैल 2024 को कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक।
दोपहर में कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त- 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 55 मिनट तक।
चैत्र नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल का भोग लगाया जाता है.
माता की पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग का कपड़ा पहनना शुभ रहेगा.
यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है. नवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने का विधान है.
माता सिद्धिदात्री को लगाया गया भोग के प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बेहद शुभ माना गया है.
ऐसा करने वाले साधक से मां प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
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(इनपुट एजेंसियो से)