tel ke daam badhe annual oil demand fallen
नई दिल्ली (समयधारा) : देश भर में कोरोना का कहर जारी है l वैक्सीन आने से कोरोना के नए खतरे में कमी आ सकती है l
पर कोरोना के वजह से भारत में साल 2020 में तेल की खपत में भारी कमी देखने को मिली है।
इस दौरान देश में तेल की खपत पिछले 2 दशकों में सबसे कम है।
सरसों का तेल जो खुले बाजार में करीब 100-150 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था अब वो सीधा 125 से 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है l
वही 5 लीटर तेल के डिब्बे की कीमत अब 100 से 250 रुपये बढ़ गयी है l
जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में तेल की कीमतों में लगाम लगना मुश्किल है l अब मार्च के बाद ही कीमतों में कमी देखी जा सकती हैl
पिछले साल कोरोना वायरस की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन लगाया गया था।
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इस दौरान देश में कारखाने और कारोबार बंद हो गए थे और जिसका सीधा असर प्रोडक्शन पर पड़ा था।
देश में प्रोडक्शन में कमी देखी गई थी, जिसकी वजह से तेल की मांग में कमी आई है।
भारत विश्व के सबसे बड़े तेल उपयोगकर्ता देशों में शामिल है। भारत में तेल की खपत में कमी आना देश में मंदी का संकेत हैं।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2019 की तुलना में इस साल तेल की मांग में 10.8 प्रतिशत तक की कमी आई है।
यह 193.4 मिलियन टन के साथ 5 साल के सबसे निम्न स्तर पर है।
मार्च 2020 में लगे लॉकडाउन की वजह से तेल की मांग 70 प्रतिशत तक गिर गई है।
मांग में यह गिरावट कारखानों के बंद होने और उत्पादनों में कमी की वजह से हुई है।
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माना जा रहा है कि लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। जिससे देश की GDP में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालने के लिए कई फैसले लिए हैं और कई प्रतिबंधों में ढील दी है।
जब से सरकार ने प्रतिबंधों में ढील दी है तभी से मांग में थोड़ा सुधार होना शुरू हुआ है।
पिछले महीने गैसोलीन की खपत में 9.3 तक का इजाफा दर्ज किया गया है। यह मई 2019 के बाद से सबसे ज्यादा है।