क्या है ब्लैक फंगस…? कोरोना काल की इस नई आफत का जानिए सही इलाज

कोरोना संक्रमितों के लिए कई तरह के फंगस अब जानलेवा साबित हो रहे हैं

क्या है ब्लैक फंगस...? कोरोना काल की इस नई आफत का जानिए सही इलाज

What is black fungus Know the treatment for this new disaster

नई दिल्ली (समयधारा) : देश भर में कोरोना का कहर जारी है l

4 लाख से ज्यादा केस आने के बाद अब नए मामलों में थोड़ी गिरावट देखने को मिली है l

पर कोरोना संक्रमितों के लिए कई तरह के फंगस अब जानलेवा साबित हो रहे हैं।

अब आप सोच रहे होंगे की यह फंगस क्या नई बला है l 

फंगस को एक तरह से फफूंद भी कहा जाता है l  ये फंगस मिट्टी, हवा हर जगह पहले से मौजूद हैं।

ये नाक और बलगम में भी मौजूद होते है। हवा और और हमारे असपास के वातारण में पहले से मौजूद,

ये फंगस कोरोना मरीजों की कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता का फायदा उठाकर उनपर हमला कर रहे हैं।

दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, MP में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं जिसमें वायरस के बाद फंगस भी कोविड मरीजों पर हमला कर रहे हैं।

कोविड टास्क फोर्स ने इस पर  एडवाइजरी भी जारी की है।

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कोविड से उबर चुके मरीजों में ब्लैक फंगस या म्युकर माइकोसिस तो कैंसर की तरह मरीजों की हड्डियां तक गला रहा है।

यह अपने आसपास की कोशिकाएं भी नष्ट कर सकता है। इसी तरह एसपरजिलोसिस फंगस भी कोविड मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।

महाराष्ट्र में इससे कई मौतें हो चुकी हैं। लेकिन यह फंगस इतना जानलेवा नहीं है।

क्या है ब्लैक फंगस?

कोरोना से उबर चुके मरीजों में म्यूकर मायकोसिस नाम का संक्रमण देखने को मिल रहा है। ये म्यूकर यानी फफूंद के कारण होने वाला संक्रमण हैं।

ये फंगस साइनस, दिमाग और फेफड़ो पर असर डालता है। बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले इसके  शिकार होते हैं।

एंटी फंगल इंजेक्शन इसकी एक मात्र दवा  है। ज्यादातर मामलों में सर्जरी ही इसका इलाज है।

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कोरोना और ब्लैक फंगस का संबंध

गंभीर कोरोना मरीजों का स्टेरॉइड से इलाज होता है। स्टेरॉइड इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं।

स्टेरॉइड शरीर में शुगर लेवल भी बढ़ा देते हैं। कमजोर इम्यूनिटी से ब्लैक फंगस का खतरा होता है।

कितना खतरनाक ब्लैक फंगस?

ज्यादातर मामलों में सर्जरी ही इसका इलाज है। ये नाक, आंख, दिमाग पर सीधा हमला करता है।

कई मामलों में तो आंखे निकालनी पड़ती हैं। ब्लैक फंगस में मृत्यु दर 50 फीसदी है।

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ऐसे समझिए खतरा

मुंबई के सायन अस्पताल का उदहारण लेते हैं जहां  2 महीने में ब्लैक फंगस के 24 मामले सामने आए हैं।

11 मरीजों ने एक आंख गंवाई है।  6 मरीजों की जान गई है। इनमें से ज्यादातर मरीजों को डायबिटीज थी।

ज्यादातर मरीज 35 साल के आस-पास के थे। कोरोना ठीक होने के 2 हफ्ते बाद ये इंफेक्शन हुए थे।
  
ब्लैक फंगस के लक्षण

नाक का बंद हो जाना। नाक से खून या काला पदार्थ आना। नाक के आस-पास काले धब्बे दिखना।

आंखों में सूजन और दर्द होना। पलकों का गिरना और धुंधला दिखाई देना ब्लैक फंगस के लक्षण हैं।

इसका ध्यान रखें

धूल वाली जगह से बचें। मास्क जरूर लगाएं ,पूरा शरीर ढंकने वाले कपड़े पहने। मिट्टी में काम के लिए ग्लब्स पहनें, अच्छी तरह घिस कर नहाएं।

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ब्लैक फंगस का इलाज

इसके इलाज के लिए एंटी-फंगल इंजेक्शन लगाए जाते हैं। 8 हफ्ते तक रोज इंजेक्शन लगता है। 3500 रुपए का एक इंजेक्शन मिलता है।

ये इंजेक्शन ही इसकी एक मात्र दवा है। आखिरी विकल्प सर्जरी है।

ये भी रखना है ध्यान

कोविड ट्रीटमेंट के वक्त ध्यान रखें। स्टेरॉइड्स का सही डोज दिया जाए। इलाज के बाद भी शुगर लेवल पर नजर रखें।

Varsa: वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।