शायरी

शायरी : आस एक झूठी ही दे जाओ कि बहला सकूँ उसे, आँगन में शाम तो आयेगी तेरे जाने के बाद भी..!!

रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे... जब हर साजिश के पीछे अपने ही निकलेंगे...

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आस एक झूठी ही दे जाओ

कि बहला सकूँ उसे….

आँगन में शाम तो आयेगी

तेरे जाने के बाद भी..!!

धोखेबाज शायरी : रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे…जब हर साजिश के पीछे अपने ही निकलेंगे.

रिश्तों की दलदल से कैसे

निकलेंगे…

जब हर साजिश के पीछे अपने ही

निकलेंगे…

दूरियाँ
तो पहले ही आ चुकी थी ज़माने में 

कोरोना ने आकर
इल्ज़ाम अपने सर ले लिया 

मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ ,

हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !

मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं ,

जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !

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Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l