धोखेबाज शायरी : रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे…जब हर साजिश के पीछे अपने ही निकलेंगे.

दूरियाँ तो पहले ही आ चुकी थी ज़माने में कोरोना ने आकर इल्ज़ाम अपने सर ले लिया-Shayari

धोखेबाज शायरी : रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे...जब हर साजिश के पीछे अपने ही निकलेंगे.

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रिश्तों की दलदल से कैसे

निकलेंगे…

जब हर साजिश के पीछे अपने ही

निकलेंगे…

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दूरियाँ
तो पहले ही आ चुकी थी ज़माने में 

कोरोना ने आकर
इल्ज़ाम अपने सर ले लिया 

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मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ ,

हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !

मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं ,

जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !

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Sonal: सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l