HOLI शायरी : आँगन में होती तो हम गिरा भी देते, साहेब… कम्बख़्त आदमी ने “दीवार” दिल मे उठा रखी है
Holi-shayari-latest-holi-shayari-india-shayari-in-hindi-and-izzat-shayri (1) माना की औरों की मुकाबले, कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने,, पर खुश हूं कि खुद गिरता संभलता रहा पर किसी को गिराया नही मैंने ! (2) फर्क तो अपनी अपनी सोच में है वरना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होती… (3) आँगन में होती तो हम गिरा भी देते, साहेब… … HOLI शायरी : आँगन में होती तो हम गिरा भी देते, साहेब… कम्बख़्त आदमी ने “दीवार” दिल मे उठा रखी है को पढ़ना जारी रखें
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