शायरी : हमें रुलाकर तुम्हे सोने की आदत हो गयी है,बेशक-आंख न खुली मेरी जिस दिन
तुम्हे नींद से नफरत हो जाएगी ....जितना हीं मेरा मिज़ाज है सादा, उतने हीं मुझे उलझे हुए लोग मिले..
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हमें रुलाकर तुम्हे सोने की आदत हो गयी है,
बेशक, आंख न खुली मेरी जिस दिन …….
तुम्हे नींद से नफरत हो जाएगी ….
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जितना हीं मेरा मिज़ाज है सादा,
उतने हीं मुझे उलझे हुए लोग मिले..
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ख्वाब सा था साथ तुम्हारा,
ख्वाब बन के रह गया..
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(इनपुट सोशल मीडिया से )
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