शायरी

शायरी : हथेली पर रखकर नसीब.. “तु क्यों अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है..”

सीख उस समन्दर से.. "जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है.."  : जिंदगी शायरी

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कौन कहता हैं की,
नेचर और सिग्नेचर कभी बदलता नही
बस एक चोट की दरकार हैं!!
अगर ऊँगली पे लगी तो सिग्नेचर, बदल जाएगा! और..
दिल पे लगी तो नेचर बदल जाएगा! 

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हथेली पर रखकर नसीब..
“तु क्यों अपना
मुकद्दर ढूँढ़ता है..”

सीख उस समन्दर से..
“जो टकराने के लिए
पत्थर ढूँढ़ता है..” 

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मैं खुश हूँ कि कोई, मेरी बात तो करता है!!
बुरा कहता है तो क्या हुआ, वो याद तो करता है ..!!

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(इनपुट सोशल मीडिया से )

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Vinod Jain