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शायरी – तेरी मर्जी से ढल जाऊं… हर बार ये मुमकिन नहीं,

मेरा भी वजूद है, मैं कोई आइना नहीं...

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marzi shayri love sayari shayaris in hindi

तेरी मर्जी से ढल जाऊं
हर बार ये मुमकिन नहीं

मेरा भी वजूद है,
मैं कोई आइना नहीं…

ज़िन्दगी में….!

ज़िन्दगी ढूँढना ही…!!

ज़िन्दगी है….!!!

भूलभुलैया सी हैं   
तेरी दिल की राहें..!

पहुँचना मुश्किल,   
लौटना नामुमकिन..!

कुछ इस अदा से निभाना है
किरदार मेरा मुझको…!

जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे
वो नफरत भी ना कर सके….!!

 

मोहब्बत  उसी को आज़माती है
जो हर मोड़ पर चलना जानता है….!!
कुछ “पाकर” तो हर कोई मुस्कुराता है,
मोहब्बत शायद उनकी ही होती है,

जो बहुत कुछ “खोकर” भी मुस्कुराना जानता है..

था जिनकी वफा पर नाज़ हमे,

हमराज बदलते देखे हैं …

हालात बदलते ही सबके,

अंदाज बदलते देखे हैं …!!

marzi shayri love sayari shayaris in hindi

शाॅपिंग में मशगूल बीवी का
सब्र से साथ देना भी

मुहब्बत है गालिब ,

ज़रूरी नहीं हर कोई
ताज महल बनवाता फिरे ..

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Riya Sharma