shayaris ki duniya ishq shayri sayari hi sayari
बस नाम लिखने की इजाज़त नहीं मिली
बाकी हम सब कुछ तुम पर ही लिखते हैं
जुबां से रोक ले
तो आंखो से बंया होता है
ये इश्क है,
इसे सब्र कहां होता है…
अपनी जिंदगी में भी लिखे है
कुछ ऐसे ही किस्से
किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया
किसी ने वक्त गुजारने के लिए अपना बना लिया
कुछ इस अदा से निभाना है
किरदार मेरा मुझको…!
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे
वो नफरत भी ना कर सके…!!
मोहब्बत उसी को आज़माती है
जो हर मोड़ पर चलना जानता है….!!
कुछ “पाकर” तो हर कोई मुस्कुराता है,
मोहब्बत शायद उनकी ही होती है,
जो बहुत कुछ “खोकर” भी मुस्कुराना जानता है…
था जिनकी वफा पर नाज़ हमे,
हमराज बदलते देखे हैं …
हालात बदलते ही सबके,
अंदाज बदलते देखे हैं …!!
shayaris ki duniya ishq shayri sayari hi sayari
शाॅपिंग में मशगूल बीवी का
सब्र से साथ देना भी
मुहब्बत है गालिब ,
ज़रूरी नहीं हर कोई
ताज महल बनवाता फिरे ..
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