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लॉकडाउन में बेटा-बहू प्रॉपर्टी के लिए कर रहे है परेशान?कोई हक नहीं उनका,जानें कैसे?

यहां तक की जब तक मां-बाप न चाहे तो बेटे का भी कोई हक नहीं बनता। जानना चाहते है कैसे?

नई दिल्ली:Your daughter in law and son no right in laws property लॉकडाउन (Lockdown) में खबरें आ रही है कि कई घरों में बुजुर्ग माता-पिता को उनके बेटा-बहू प्रॉपर्टी उनके नाम करने के लिए परेशान कर रहे है।

अगर ऐसा आपके साथ भी हो रहा है तो आप सबसे पहले अपने कानूनी अधिकार समझ लें और ऐसे बहू-बेटे को कानून का सहारा लेकर अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दें। डरें नहीं।

अगर आपकी बहू भी आपकी प्रॉपर्टी में अपना हक मांगती है तो अब ऐसा करना उसके लिए महंगा साबित होगा क्योंकि सास-ससुर की किसी भी तरह की संपत्ति में बहू का कोई हक नहीं बनता।

यहां तक की जब तक मां-बाप न चाहे तो बेटे का भी कोई हक नहीं बनता। जानना चाहते है कैसे? चलिए बताते है।

दिल्ली के मुकुंदपुर में आठ महीने पहले मनीष की शादी नीरू से हुई। नीरू ने शादी के तुरंत बाद अपने सास, ससुर की संपत्ति में हिस्सा देने की धमकी देनी शुरू कर दी। हिस्सा नहीं मिलने पर दहेज प्रताड़ना और दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाने की धमकी भी दी जाने लगी। यह अपनी तरह का पहला मामला नहीं है, जहां पीड़ित ससुराल पक्ष वाले हैं।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने हाल के फैसले में साफतौर पर कहा है कि सास, ससुर की संपत्ति में बहू का हक नहीं है। यह फैसला मनीष और उसके मां-बाप की तरह उन कई निर्दोष परिवारों के लिए राहत लेकर आया है।

Your daughter in law and son no right in laws property

इस मुद्दे को और समझाते हुए वकील गीता शर्मा ने न्यूज एजेंसी से कहा, “सास, ससुर की चल या अचल किसी भी तरह की संपत्ति में बहू का कोई हक नहीं है। भले ही वह पैतृक हो या खुद अर्जित की गई हो। बुजुर्ग दंपति की खुद से अर्जित की गई संपत्ति पर बेटे का हक भी नहीं बनता तो बहू का हक होना तो बहुत दूर की बात है।”

बुजुर्ग माता-पिता के कानूनी अधिकारों के बारे में वह कहती हैं, “कानून से इन्हें कई तरह के अधिकार मिले हुए हैं। संपत्ति या अन्य कारणों से बेटे या बहू के द्वारा प्रताड़ित किया जाना या घर से निकालना अपराध है, अब तक इस तरह के मामलों के लिए सख्त प्रावधान है।”

मनीष के पिता ने बहू की प्रताड़ना से तंग आकर दैनिक अखबार में विज्ञापन देकर अपने बेटे और बहू को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया है।

इस पर कानूनी विशेषज्ञ शेफाली कांत कहती हैं, “देखिए, मुझे लगता है कि उन्होंने अपनी सुरक्षा और भविष्य को देखकर कदम उठाया है, लेकिन इसमें डरने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि अगर बेटा या बहू ने धोखे या डरा-धमकाकर संपत्ति अपने नाम भी लेते हैं तो यह कानूनन अवैध होगा। कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। इस तरह से संपत्ति से बेदखल करना इतना आसान नहीं है।”

वह कहती हैं कि वरिष्ठ नागरिक संरक्षण अधिनियम 2005 (Senior citizen protection act, 2005के तहत मां-बाप कानून की शरण में जा सकते हैं।

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लेकिन सवाल यह है कि कानून की आड़ में परिवार को परेशान करने वाली बेटियों और बहुओं पर शिकंजा कसने के लिए और क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

इसका जवाब देते हुए वकील गीता शर्मा कहती हैं, “मजिस्ट्रेट या फैमिली कोर्ट में अपील की जा सकती है। बहुओं पर उत्पीड़न या प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि कानून में सिर्फ महिलाओं को ही अधिकार दिए गए हैं।

वरिष्ठ मां-बाप और पीड़ित परिवार वालों को भी अधिकार दिए गए हैं, बस जरूरत है कि वे अपने अधिकारों को जानें, बहू केस कर देगी, यह सोचकर प्रताड़ित होना ही गलत है।”

वह कहती हैं, “कानून सभी के लिए समान है, अगर कोई पीड़ित है तो उसे इंसाफ मिलना चाहिए लेकिन इंसाफ लेने के लिए आपको कानूनी रूप से जागरूक भी होना पड़ेगा।”

Your daughter in law and son no right in laws property
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Your daughter in law and son no right in laws property

(इनपुट एजेंसी से भी)

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shweta sharma

श्वेता शर्मा एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। लेकिन अब अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। श्वेता शर्मा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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