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Bakra eid-Eid ul-adha 2022 date:कब है बकरीद या ईद-उल-अजहा?क्यों कहते है इसे कुर्बानी का पर्व?

अब आपको बताते है कि बकरीद(Bakra-eid) या ईद-उल-अजहा (Eid-ul-adha)कैसे मनाई जाती है,इसका क्या महत्व है। इसे कुर्बानी पर्व या बकरीद क्यों कहा जाता है।

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नई दिल्ली:Bakra-eid-kab-hai-2022-Eid-ul-adha-2022-date-मुस्लिम संप्रदाय का पावन पर्व ईद उल-अजहा यानि बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के अंतिम महीने जुल-हिज्जा में धूमधाम से मनाया जाता है।

ईद-उल-अजहा को बकरीद(Bakra eid-Eid ul-adha)भी कहा जाता है।

बकरीद(Bakra Eid)का त्यौहार रमजान(Ramazan) समाप्त होने के 70 दिन बाद मनाया जाता है। 

आपको बता दें कि बकरा ईद के दिन जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा है। अब आप जानना चाहेंगे कि इस साल बकरीद या ईद-उल-अजहा कब है।

तो आपको बता दें कि इस वर्ष ईद उल अजहा यानी बकरीद 10 जुलाई, रविवार को मनाई(Bakra-eid-kab-hai-2022-Eid-ul-adha-2022-date)जाएगी।

ईद-उल-अजहा(Eid al-Adha 2022) को कुर्बानी पर्व भी कहा जाता है।

चलिए अब आपको बताते है कि बकरीद(Bakra-eid) या ईद-उल-अजहा (Eid-ul-adha)कैसे मनाई जाती है,इसका क्या महत्व है।

इसे कुर्बानी पर्व या बकरीद क्यों कहा जाता(why-says-Kurbani-Parv)है।

ईद उल फितर(eid-ul-fitr)यानि मीठी ईद के 70 दिन के बाद बकरीद का त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोग मनाते है।

ईद उल अज़हा भारत और दुनिया भर में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस दिन मुसलमान ईदगाह या मस्जिद में जमा होते हैं और जमात के साथ 2 रकात नमाज अदा करते हैं।

यह नमाज अमूमन सुबह के समय आयोजित की जाती है।

 

 

 

 

 

Bakra-eid-kab-hai-2022-Eid-ul-adha-2022-dateभारत में कब है बकरीद?

इस साल 2022 में भारत में बकरीद 10 जुलाई(Bakra-eid-in-India)रविवार को मनाई जाएगी। ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है।

आपको बता दें कि बकरीद का त्यौहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है और ईद उल ज़ुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने, नौ दिन बाद मनाई जाती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

बकरीद को कुर्बानी का पर्व क्यों कहा जाता है?-Why-bakrid-says-Kurbani-Parv

बकरा ईद(Bakra eid)लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है।

ईद-उल-अजहा(Eid ul-adha) को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है।

हजरत इब्राहिम अल्लाह(Allah)के हुकम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे।

जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए आगे बढ़े तो खुदा ने उनकी निष्ठा को देखते हुए इस्माइल की कुर्बानी को दुंबे की कुर्बानी में परिवर्तित कर दिया।

बस तभी से ईद-उल-अजहा को कुर्बानी पर्व(Kurbani Parv) के रुप में मनाया जाने लगा।

बकरा ईद पर सबसे पहले मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या दुंबे-भेड़ की कुर्बानी दी जाती है।

कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबंधियों को दिया जाता है।

वहीं, तीसरे हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

जानें मीठी ईद और बकरीद में अंतर-How-Celebrate-Bakrid

मीठी ईद(Mithi eid) की तरह बकरीद(Bakrid) भी खुशी के साथ मनाई जाती है, बस ईद-उल-फितर और बकरीद में फर्क इतना है कि ईद-उल-फितर खुशी के तौर पर देखा जाता है

रमजान(Ramzaan) के तोहफे के तौर पर मनाई जाती है और eid-ul-adha यानी की बकरीद गरीब और जरुरतमंदों के साथ मिलकर मनाई जाती है ।

कुर्बानी का जो कांसेप्ट है उसका भी यही मतलब है कि वह गोश्त गरीबों में तक्सीम करें ताकि गरीबों को एक वक्त का खाना मिल सके।

नमाज अदा करने के बाद वे भेड़ या बकरी की कुर्बानी (बलि) देते हैं और परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और गरीबों के उसे साझा करते हैं।

 

 

 

bakra-eid-kab-hai-2021-Eid-ul-adha-2021-date 

Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।