Basoda Sheetala Ashtami 2024:कब है बसौड़ा या शीतला अष्टमी 1 या 2 अप्रैल,जानें पूजा मुहूर्त,विधि

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी व्रत की ये है सही तिथि,पूजा टाइम,महत्व

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प्रतिवर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी व्रत(Sheetala Ashtami) पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से मनाया जाता है।

हिंदू पंचागानुसार,होली(Holi)के आठ दिन बाद आने से शीतला अष्टमी को होली आठे(Holi Aathe)भी कहते है।

इस दिन शीतला माता(Sheetla Devi Maa)की पूजा की जाती है और उनकी पसंद के पकवान बनाये जाते है।

मान्यता है कि शीतला माता(Sheetala Mata)भक्त को शीतलता यानि सुख,शांति और रोग रहित जीवन प्रदान करती है। 

शीतला अष्टमी व्रत(Sheetala Ashtami Vrat Puja)पूजा में मां शीतला देवी को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है,जिसे ठंडा खाना(Thanda Khana)भी कहते है।

यही कारण है कि शीतला अष्टमी को बसौड़ा(Basoda 2024)के नाम से भी जाना जाता है।

शीतला माता के भक्तगणों के बीच यह दिन बहुत महत्व रखता(Basoda-Sheetala-Ashtami-2024-date-puja-shubh-muhurat-vidhi)है।

बसौड़ा या शीतला अष्टमी(Basoda ya Sheetala Ashtami)के दिन शीतला माता को मीठे गुड़ के चावल,दही,हलवा-पूरी,ऐठी-गेंठी और जल का भोग प्रसादा स्वरूप लगाया जाता है और मध्यरात्रि में ही इन पकवानों को बना लिया जाता है।

फिर अगले दिन तड़के शीतला माता की पूजा(Sheetala Devi Puja)करते हुए उन्हें इसी बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और खुद भी इस बासी या ठंडे भोग का सेवन किया जाता है।

इस वर्ष लोगों के बीच संशय बरकरार है कि आखिर बसौड़ा या शीतला अष्टमी या होली आठे और ठंडा खाना कब(Basoda-Sheetala-Ashtami-2024-kab-hai)है।

चूंकि अष्टमी तिथि का आरंभ 1 अप्रैल 2024,सोमवार को रात में ही हो रहा है और अगले दिन 2 अप्रैल,मंगलवार शाम को तिथि की समाप्ति हो रही है।

ऐसे में लोगों के बीच कंफ्यूजन है कि आखिर बसौड़ा या शीतला अष्टमी कब है और पूजा का शुभ व विधि क्या(Basoda-Sheetala-Ashtami-2024-date-puja-shubh-muhurat-vidhi)है।

तो चलिए आपके इसी संशय को दूर करके ज्योतिषाचार्य के मुताबिक बताते है कि इस साल शीतला अष्टमी व्रत या बसौड़ा कब(Basoda-Sheetala-Ashtami-2024-date) है।

 

बसोड़ा या शीतलाष्टमी 2024 कब है

 

बसौड़ा या शीतला अष्टमी कब है  2024? Basoda Sheetala Ashtami 2024 kab hai

हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 1 अप्रैल, सोमवार की रात 09 बजकर 09 मिनट पर हो रहा है।

अष्टमी तिथि की समाप्ति  2 अप्रैल, मंगलवार की रात 08 बजकर 08 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए बसौड़ा यानी शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को रखा जाएगा।

 

शीतला अष्टमी या बसौड़ा पूजा का शुभ मुहूर्त । Basoda Sheetala Ashtami 2024 puja shubh muhurat vidhi

मंगलवार, 2 अप्रैल को शीतला अष्टमी यानी बसौड़ा के दिन आप सुबह 06 बजकर 10 मिनट से शाम 06 बजकर 40 मिनट के दौरान कभी भी शीतला माता की पूजा कर सकते हैं।

 

 

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शीतला सप्तमी तिथि का आरंभ

बसौड़ा यानी शीतला अष्टमी से एक दिन पहले शीतला सप्तमी मनाई जाती है। यह तिथि भी माता शीतला को समर्पित है।

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 31 मार्च को रात 9 बजकर 30 मिनट से 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट तक है।

ऐसे में 1 अप्रैल को शीतला सप्तमी और 2 अप्रैल को बसौड़ा या शीतला अष्टमी मनाई जाएगी।

 

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शीतला अष्टमी पूजा विधि । Sheetala Ashtami puja vidhi

 

-शीतला अष्टमी के दिन सुबह स्नान के साफ वस्त्र धारण करें।

 

-पूजा के दौरान हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें।

 

-माता को रोली, फूल, वस्त्र, धूप, दीप, दक्षिणा और बासा भोग अर्पित करें।

 

-शीतला माता को दही, रबड़ी, चावल आदि चीजों का भी भोग लगाया जाता है।

 

-पूजा के समय शीतला स्त्रोत का पाठ करें और पूजा के बाद आरती जरूर करें।

 

-पूजा करने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें।

 

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गुडगांव में है शीतला माता का 500 साल पुराना प्राचीन मंदिर । Sheetala mata mandir gurugram

 

शीतला माता मंदिर
शीतला माता (Sheetla Mata Puja 2024) को ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है, इसलिए इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं पकता और भी कई मान्यताएं और परंपराएं इस पर्व से जुड़ी हैं।
हमारे देश में वैसे तो शीतला माता के कई मंदिर हैं, लेकिन उन सभी में गुरुग्राम स्थित शीतला माता मंदिर (Sheetla Mata Mandir, Gurugram) का विशेष महत्व है।
हरियाणा के गुड़गांव में स्थित शीतला माता का मंदिर कई आस्थाओं का प्रतीक है यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है।
लेकिन इससे जुड़ी कथाएं महाभारत काल की हैं। नवरात्रि व अन्य अवसरों पर यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…
मंदिर में है खास सरोवर
शीतला माता मंदिर परिसर में शनिदेव, भैरव जी, राधा कृष्ण, राम दरबार, हनुमान, मां दुर्गा समेत सभी देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर हैं।
श्रद्धालु अपने बच्चों के पहली बार बाल उतरवाने (मुंडन) के लिए यहां पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में बने तालाब का विशेष महत्व है।
इस तालाब में अब पूर्वांचल के प्रमुख त्यौहार छठ मैया की पूजा भी होने लगी है। छठ मैया की पूजा के लिए शीतला माता मंदिर परिसर में बने सरोवर को विशेष रूप से सजाया जाता है।
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Radha Kashyap: