नई दिल्ली:chandra-grahan2021-chandra-grahan-kab-hai–अगर आप भी जानना चाहते है कि इस वर्ष चंद्र ग्रहण कब (Chandra grahan kab hai)है?
तो आपको बता दें कि आज बुधवार 26 मई को 2021का पहला चंद्र ग्रहण है।
इस वर्ष चंद्र ग्रहण(Lunar Eclipse)बहुत खास है चूंकि आज के दिन ही वैशाख पूर्णिमा भी पड़ रही है।
26 मई को पड़ने वाला इस वर्ष पहला चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण(Chandra grahan 2021) होगा।
गौरतलब है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण को ब्लड मून भी कहा जाता है चूंकि इस दिन चंद्रमा का रंग लाल और नारंगी हो जाता है।
जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में छुप जाता है और आकाश में लाल रंग की रोशनी नज़र आती है,तभी ब्लड मून(blood moon)दिखाई देता है।
यूं तो ग्रहण एक वैज्ञानिक घटना है लेकिन इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी होता है।
जहां तक धार्मिक मान्यताओं की बात है तो उनके मुताबिक, ग्रहण को अशुभ कहा जाता है।
इसी कारण ग्रहण के समय किसी भी तरह के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इसी को सूतक काल भी कहते है।
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चंद्र ग्रहण का समय-chandra grahan 2021 time
भारतीय समयानुसार,26 मई को पड़ने वाला चंद्र ग्रहण दोपहर 2:17 मिनट पर शुरू होगा और शाम 7:19 बजे तक खत्म होगा।
जानें कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण?–chandra-grahan2021-chandra-grahan-kab-hai
चंद्र ग्रहण 2021 उत्तरी/दक्षिण अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अटलांटिक, हिंद महासागर , अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में देखा जा सकेगा।
वैसे भारत में इस वर्ष के पहले चंद्र ग्रहण की उपछाया ही दिखेगी।
इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा-sutak kaal time
इस बार भारत में चंद्र ग्रहण(Chandra grahan)उपछाया की तरह ही दिखेगा।
इस कारण से सूतक काल(Sutak kaal) मान्य नहीं होगा, जिस वजह से देश के मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं किए जाएंगे और शुभ कार्यों पर भी रोक नहीं होगी।
जानें उपछाया ग्रहण क्या होते है?
पूर्ण और आंशिक ग्रहण के अलावा एक उपछाया ग्रहण भी होता है।
चंद्रमा जब पृथ्वी की वास्तविक छाया में नहीं आता है और उसकी उपछाया से ही बाहर निकल जाता है, ऐसे ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहते हैं।
उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है।
इस ग्रहण में चंद्रमा के रंग और आकार में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है।
वैसे, इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है।
बता दें कि कोई भी चन्द्र ग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है, जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है।
जिसे उपच्छाया कहते हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे अतः इसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा।
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वास्तव में चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्रमा और सूरज के बीच जब पूरी तरह से पृथ्वी आ जाती है और सूरज की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोक देती है तो इसे वास्तविक चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
इस स्थिति में चंद्रमा की सतह पूरी तरह से लाल हो जाती है।
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