Tuesday Thoughts : ‘राम’ तुम्हारें युग का, ‘रावण’ अच्छा था….

"दस के दस" चेहरे, सब बाहर रखता था... मंगलवार सुविचार

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‘राम’ तुम्हारें युग का 

‘रावण’ अच्छा था 

“दस के दस” चेहरे 

सब बाहर रखता था…!!

मन ऐसा रखो की
किसी को बुरा न लगे 
दिल ऐसा रखो की
किसी को दुःखी न करें
रिश्ता ऐसा रखो की
उसका अंत न हो

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( इनपुट सोशल मीडिया से )

Dropadi Kanojiya: द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।