सूर्य ग्रहण
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इस साल का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या(Vaishakha-Amavasya)को पड़ रहा है और वैशाख अमावस्या आज यानि गुरुवार, 20 अप्रैल 2023(Surya-Grahan-2023)की है।
आज के ही दिन इस साल का पहला सूर्य ग्रहण(Solar-eclipse)भी पड़ रहा है।
यूं तो सूर्य ग्रहण(Surya Grahan)और चंद्र ग्रहण(Chandra Grahan)खगोलीय घटनाएं है लेकिन हिंदू धर्म में इनका विशेष महत्व माना जाता है।
हिंदू धर्मानुसार,अमावस्या का दिन हमारे पितृों(Pitru)की आत्मा की शांति के लिए प्रमुख होता है।
उनकी तृप्ति और मोक्ष प्राप्त के लिए अमावस्या पर स्नान,दान भी किया जाता है। ऐसे में वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया(Surya-Grahan-2023-on-Vaishakha-Amavasya-time-sutak-kaal-niyam)है।
चलिए अब आपको बताते है कि 20 अप्रैल 2023 को सूर्य ग्रहण कितने बजे से कितने समय तक रहेगा और क्या यह भारत में दिखेगा।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल क्या होगा और सूतक काल में किन-किन बातों का ध्यान रखना अनिवार्य(First-Surya-Grahan-2023-on-Vaishakha-Amavasya-today-know-time-sutak-kaal-rules)है।
सूर्य ग्रहण का आरंभ 20 अप्रैल 2023 सुबह 07.04 मिनट पर होगा और समाप्ति दोपहर 12.39 मिनट पर होगी। आमतौर पर सूर्य ग्रहण अमावस्या पर और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर लगता(First-Surya-Grahan-2023-on-Vaishakha-Amavasya-today-know-time-sutak-kaal-rules)है।
ग्रहण में सूतक काल की बहुत अहमियत होती है।
सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है। सूतक को शास्त्रों में अशुभ माना गया है, इसलिए इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए नहीं तो जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
हालांकि राहत की बात यह है कि इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा,इसलिए सूतक काल(Sutak Kaal)भी मान्य नहीं रहेगा।
लेकिन चूंकि अंतरिक्ष में यह खगोलीय घटना घटेगी,इसलिए गर्भवती महिलाएं फिर भी कुछ बातों का सूतक काल में ध्यान रख सकती है।
-हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक सूतक काल के समय पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है। सूतक के अशुभ दोषों से सुरक्षित रहने के लिए अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण और सूतक के दौरान कोई भी शुभ कार्य पूजा, खरीदारी नहीं करना चाहिए।
-सूतक काल में सूर्य को अर्घ्य भी नहीं दिया जाता, न ही तुलसी और किसी भी पूजनीय पेड़-पौधों में जल अर्पित करते हैं। इस दौरान सोना भी नहीं चाहिए। इससे दोष लगता है। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इन नियमों का पालन जरुर करना चाहिए।
-सूतक में समस्त प्रकार के ठोस तरल खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित है, हालांकि बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को छूट है। इसमें न ही भोजन पकाना चाहिए, न ही इनका सेवन करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना गया है।
-सूर्य ग्रहण के दिन गर्भवती महिलाएं खास ख्याल रखें। सावधानियां बरतें। सूतक शुरू होने से ग्रहण खत्म होने तक घर से बाहर न निकलें। नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग किसी काम में नहीं करना चाहिए।
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-सूतक काल लगने से पहले अनाज और तरल पदार्थों में तुलसी दल(Tulsi)और कुश डाल दें. मान्यता है कि इससे इन चीजों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जा सकता है।
-सूर्य ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले मंदिर के पट बंद कर दें। ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान करें।
-भगवान को भी गंगाजल से स्नान कराएं। इसकी समाप्ति पर पूरे घर में गंगाजल छि़ड़कर शुद्धिकरण करें।
-ग्रहण और सूतक काल में पूजा की मनाही है लेकिन मंत्र का जाप करना अच्छा माना जाता है। इससे ग्रहण के अशुभ प्रभाव का असर नहीं होता।
ग्रहण के समय महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण या फिर तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥ या विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥ इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
Disclaimer: ऊपर लिखी गई पोस्ट केवल सामान्य जानकारी और मान्यताओं के आधार पर वर्णित है। Samaydhara.com किसी भी प्रकार की जानकारी और मान्यता की पुष्टि नहीं करता।
किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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