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गणेश भगवान को समर्पित 10 दिवसीय त्यौहार गणेण चतुर्थी(ganesh-chaturthi)का हिंदू धर्म में खास महत्व है।
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाते है। इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी की धूम महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में मचती है।
गणेश(ganesha)जी को प्रथम देव या प्रथम आराध्य देव भी कहा जाता है। किसी भी कार्य को शुरु करने से पहले या किसी देव की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करना शुभ होता है।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पावन पर्व शुक्रवार, 10 सितंबर 2021(ganesh-chaturthi-2021-date) से शुरु हो रहा है।
दस दिन तक चलने वाला गणेशोत्सव हर्षोउल्लास के साथ सारे विघ्नों को दूर करने वाला होता है।
इस दिन घर-घर भगवान गणपति विराजते है और भक्त दिन-रात उनकी आराधना करके उनपर कृपा बरसाने की प्रार्थना करते है।
इसलिए गणपति की स्थापना और पूजा शुभ मुहूर्त में करनी(ganesh-chaturthi-2021-date-puja-vidhi-shubh-muhurat)चाहिए ताकि विघ्नहर्ता आपके सभी विघ्न हर लें और सुख-शांति-धन-दौलत का वरदान दें।
10 दिन तक गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करके,उन्हें हंसी-खुशी विदाई दी जाती है,जिसे गणपति विसर्जन कहते है।
इसलिए 10 सितंबर से(Kab hai ganesh chaturthi) शुरु हो रहा गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर अर्थात अनंत चतुर्दशी के दिन संपन्न होगा।
ज्योतिषियों के मुताबिक, श्री गणेश की अनुकम्पा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन लोगों को काले और नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
गणेश चतुर्थी 2021 तिथि-पूजा का शुभ मुहूर्त-ganesh-chaturthi-2021-date-puja-vidhi-shubh-muhurat
गणेश चतुर्थी- 10 सितंबर, 2021
गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ मुहर्त दोपहर 12:17 बजे शुरू होकर और रात 09:57 बजे तक रहेगा।
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त- प्रातः 11:03 से दोपहर 01:32 बजे तक
चतुर्थी तिथि शुरू- 10 सितंबर 2021, को दोपहर 12:17 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021, को रात 09:57 बजे
गणेश महोत्सव आरंभ- 10 सितंबर, 2021
गणेश महोत्सव समापन- 19 सितंबर, 2021
गणेश विसर्जन- 19 सितंबर 2021, रविवार
गणेश चतुर्थी पर पूजा विधि (Ganesh chaturthi Puja Vidhi )
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-गणेश चतुर्थी के दिन प्रात: काल स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें।
-इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें।
-फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें।
-भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए।
-इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें।
-गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
गणेश चतुर्थी पर न करें गलती से भी यह काम
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मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए।
यदि भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें।
भगवान गणेश के भोग में इन वस्तुओं का शामिल करना है शुभ
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गणेश जी का पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए।
-ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
-कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए।
-मान्यता है कि तुलसी(Tulsi) ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणेश जी ने उन्हें श्राप दे दिया था।
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