Guru-Purnima-2023-puja-shubh-muhurat-vidhi-Importance
गुरु पूर्णिमा(Guru Purnima)का पावन पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरूजन को समर्पित होता है।यही कारण है कि इस दिन लोग अपने गुरुओं की पूजा करते है।
पौराणिक काल से गुरु पूर्णिमा(Guru-Purnima)के दिन गुरु की पूजा की जाती है।
प्रत्येक मनुष्य का सबसे पहला गुरु उसकी मां होती है,जो उसे परवरिश और संस्कारों से सींचती है।
फिर उसके बाद गुरु या अध्यापक उसके चरित्र का निर्माण करते है और आजीवन उसे रास्ता दिखाने वाला परब्रह्म ही उसका गुरु या ईष्ट होता है।
इसलिए सनातन धर्म में गुरु का विशेष महत्व है। उन्हें देवता तुल्य माना गया है और गुरु को ब्रह्मा,विष्णु व महेश के समान ही पूज्यनीय माना गया है।
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा(Vyas Purnima) भी कहा जाता है,चूंकि महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।
उनके सम्मान में ही प्रति वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता (Guru-Purnima-2023)है।
ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन महर्षि व्यास जी ने अपने शिष्यों और मुनियों को श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था,तभी से आज का यह शुभ दिन व्यास पूर्णिमा(Vyas Purnima)के नाम से भी पुकारा जाने लगा।
इस साल गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व आज यानि सोमवार, 3 जुलाई 2023 को धूमधाम से मनाया जा रहा(Guru-Purnima-2023-3rd-July)है।
व्यक्ति के सिर पर यदि गुरु का हाथ हो तो कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जा पाता और बड़ी से बड़ी कठिनाई से पल में पार हो जाता है।
ईश्वर की कृपा भी आपको तभी मिल पाती है जब गुरु का आशीर्वाद आपके साथ हो।
हिंदू धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। गुरु के महत्व को संत कबीर दास जी के इस दोहे से समझा जा सकता है।
।। गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय ।|
।। बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय ।।
इस दोहे में कबीर जी बता रहे है कि अगर गुरु और ईश्वर एक साथ आपके सामने प्रस्तुत हो जाएं, तो आप सबसे पहले किसके पैर छुयेंगे और किसकी वंदना करेंगे।
उन्होंने कहा कि गोविंद (ईश्वर) को बताने वाला हमारा गुरु ही है और यदि गुरु नहीं होते तो गोविंद के बारे में अर्थात ईश्वर के बारे में हमें कौन बताता इसलिए गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है।
इसलिए हम गुरु के पैर सबसे पहले छुयेंगे और उनकी वंदना करेंगे इसलिए हमें अपने गुरु का हमेशा आदर करना चाहिए।
चलिए अब बताते है कि इस साल गुरु पूर्णिमा कब है,शुभ मूहर्त और पूजा विधि और महत्व क्या(Guru-Purnima-2023-puja-shubh-muhurat-vidhi-Importance)है :
कब है गुरु पूर्णिमा 2023-Guru-Purnima-2023-kab-hai
व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाने वाली गुरु पूर्णिमा इस वर्ष 3 जुलाई 2023,सोमवार को है।
गुरु पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त (Guru-Purnima-2023-Shubh-Muhurat)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ- रविवार,02 जुलाई को रात्रि 08:21 पर होगा
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त-सोमवार, 03 जुलाई को शाम 05:08 पर हो जाएंगी।
चूंकि 03 जुलाई को उदया तिथि में पूर्णिमा तिथि लग रही है इसलिए गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व इस साल 03 जुलाई 2023,सोमवार को मनाई(Guru-Purnima-2023-puja-shubh-muhurat-vidhi-Importance)जा रही है।
इसके साथ-साथ इस दिन ब्रह्म और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसकी गणना ज्योतिष शास्त्र में सर्वश्रेष्ठ समय की श्रेणी में किया गया है।
बता दें कि ब्रह्म योग दोपहर 03:35 तक रहेगा और इसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा।वहीं बुधादित्य राजयोग पूरे दिन रहेगा।
इन योग के दौरान गुरु की पूजा,दीक्षा,स्नान-दान और आशीर्वाद प्राप्ति से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
गुरु पूर्णिमा पूजन विधि-Guru Purnima 2023-Puja Vidhi
Guru-Purnima-2023-puja-shubh-muhurat-vidhi-Importance
-गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर मंदिर जाकर देवी-देवता का नमन करें।
-इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’।इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा अर्चना करें।इसके लिए फल, फूल, रोली लगाएं। इसके साथ ही अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं। फिर धूप, दीपक जलाकर आरती करें।
-इस दिन जल में हल्दी मिलाकर घर के मुख्य द्वार की सफाई करें।
-इस दिन किसी के लिए अपशब्द न कहें। किसी स्त्री या बुजुर्ग का अपमान भूलकर भी न करें।
-घी का दीप जलाकर भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ों में मीठा जल डालना चाहिए, ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
-गुरु पूर्णिमा की शाम को पति-पत्नी मिलकर यदि चंद्रमा का दर्शन करें और चंद्रमा को गाय के दूध का अर्घ्य दें तो दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
-आषाढ़ पूर्णिमा की शाम तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करें।
-आटे की पंजीरी का प्रसाद बनाकर भगवान श्री हरि विष्णु को भोग लगाएं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का ध्यान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
-इस दिन जरूरतमंदों को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का दान दें। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं।
-पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन किसी मंदिर के भंडारे में अनाज और शुद्ध घी का दान करें। इससे भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
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गुरु पूर्णिमा का महत्व-Guru-Purnima-Importance
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आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था और व्यास जयंती को व्यास पूजा करने की परंपरा है। इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
बता दें कि वेद व्यास जी ने महाभारत समेत कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी।
भारतीय सभ्यता में गुरु का विशेष स्थान है और कहा जाता है कि माता-पिता के बाद गुरु ही हैं जो कि मुनष्य को सही राह दिखाते हैं।
ऐसे में गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए गुरु पूर्णिमा सबसे उत्तम दिन है। मानव जाति के प्रति महर्षि वेदव्यास का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इन्होंने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए उन्हें प्रथम गुरु की उपाधि दी गई है।
अस्वीकरण:उपरोक्त पोस्ट सामान्य जानकारी के आधार पर लिखी गई है। समयधारा इसकी सटीकता को प्रमाणित नहीं करता और न जिम्मेदारी लेता। हमारा मकसद केवल सूचना प्रदान करना है। पाठक कोई भी उपाय करने से पूर्व संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की राय अवश्य लें।
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