Dhanteras 2021 जानें कब है धनतेरस, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, क्या खरीदें?

जाने धनतेरस 2021 का शुभ मुहूर्त खरीदारी का शुभ समय और धनतेरस से जुड़ीं सभी जानकारी

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Dhanteras 2021 जानें कब है धनतेरस, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त आदि...

kab hai dhanteras 2021 date puja time shubh muhurat kharidari ka samay 

मां लक्ष्मी की कृपा बरसाने वाला दीपोत्सव दिपावली का पावन पर्व धनतेरस से ही शुरू हो जाता है।

दिवाली (Diwali) को पांच दिन का त्यौहार कहा जाता है और धनतेरस उसका पहला दिन है, जब हम मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा के लिए नई वस्तुएं खरीदते है।

धनतेरस(Dhanteras)को धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi),धन्‍वंतरि त्रियोदशी(Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है।

जानिएं कब है धनतेरस (Dhanteras kab hai)?

धनतेरस का पावन पर्व प्रतिवर्ष दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास की तेरस अर्थात 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है।

इस वर्ष धनतेरस 2 नवंबर , मंगलवार को है।

इसके अतिरिक्त इस बार धनतेरस दीवाली से दो दिन पहले ही मनाया जायेगी पिछली बार धनतेरस दिवाली के एक दिन पहले ही आई थी l 

इस वर्ष धनतेरस  2 नवंबर को और छोटी दिवाली 3 नवंबर को मनाई जायेगी l बड़ी (मुख्य दिवाली) 4 नवंबर गुरूवार को मनाई जायेगी।

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त-dhanteras date-puja-shubh muhurat

धनतेरस पूजा मुहूर्त: 2 नवंबर 2021 को शाम 05 बजकर 25 मिनट से रात 06 बजे तक। (कुल अवधि: 35 मिनट)

प्रदोष काल: 2 नवंबर 2021 को शाम 05 बजकर 39 मिनट से रात 08 बजकर 14 मिनट तक।

वृषभ काल: 2 नवंबर 2021 को शाम 06 बजकर 51 मिनट से रात 08 बजकर 47 मिनट तक।

खरीदारी के शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11:42 से 12:26 तक।
वृषभ काल– शाम 06:18 से 08:14: तक।
प्रदोष काल- शाम 05:35 से 08:14 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक।
निशिता मुहूर्त- रा‍त्र‍ि 11:16 से 12:07 तक।

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धनतेरस की पूजा विधि

धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है।

– धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है। इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें।

धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें:

“मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|

त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||”

– धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है। इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्‍प अर्पित करें। फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्‍चे मन से इस मंत्र का उच्‍चारण करें:

ॐ  श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्‍लीं श्रीं क्‍लीं वित्तेश्वराय नम:

धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है। इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है।

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धनतेरस महत्व-Dhanteras importance

ऐसा कहा जाता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही माता लक्ष्‍मी (Maa Laxami) और भगवान कुबेर (Kuber) प्रकट हुए थे।

ऐसी मान्यता है कि इसी दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म हुआ था।

इसी कारण इस दिन माता लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है।

भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय ‘राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ (National Ayurveda Day) के नाम से मनाता है।

इसके अतिरिक्त, धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा (Yamaraj Puja) भी की जाती है।

धनतेरस पर इनकी करनी चाहिए खरीदारी-dhanteras shopping

-धनतेरस पर सोने-चांदी के जेवर और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।

-धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है।

-फिर इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस (Chhoti Diwali or Narak Chaturdashi), बड़ी या मुख्‍य दीपावली (Diwali), गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja) और अंत में भाई दूज या भैया दूज (Bhai Dooj) का त्‍योहार मनाया जाता है।

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Varsa: वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।