कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल : करें जन्माष्टमी पर विशेष व्रत और पूजा होगा छप्परफाड़ लाभ ही लाभ
krishna janmashtami special vrat aur puja vidhi
नई दिल्ली (समयधारा) : भारत में हर त्यौहार का अपना अलग ही महत्व है l
वह चाहे महाशिवरात्रि हो या गणेश चतुर्थी या फिर दिवाली या नवरात्रि सभी त्योहारों में कुछ न कुछ ख़ास है l
आज हम आपको कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष पूजा विधि के बारें में बताएँगे l
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा को हम षोडशोपचार पूजा के नाम से जानते हैं।
जन्माष्टमी यानि कृष्ण भगवान के जन्म के दिन हम व्रत और पूजा करते हैं।
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आइये जानते है कैसे करें कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत और पूजा की विधि के बारे में –
कृष्ण जन्माष्टमी की शुरुआत अष्टमी के व्रत और पूजन से होती है और नवमी के पारण से व्रत पूर्ण होता है।
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इसलिए व्रत करने वाले व्यक्ति को व्रत से एक दिन पहले अच्छे से भोजन करना चाहिए।
व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करके पीले या श्वेत वस्त्र धारण करें।
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इसके बाद सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर,
अमर और ब्रह्मा आदि को नमस्कार करके पूजन की तैयारी शरूर कर दें।
जन्माष्टमी की पूजा के लिए समस्त सामग्री –
धूप बत्ती (अगरबत्ती), कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत 5, कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे-, तुलसीमाला, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद (मधु), शकर, घृत (शुद्ध घी), दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), इलायची (छोटी), लौंग मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन (चौकी, आसन), पंच पल्लव, (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), पंचामृत, तुलसी दल, केले के पत्ते, (यदि उपलब्ध हों तो खंभे सहित), औषधि, (जटामांसी, शिलाजीत आदि), श्रीकृष्ण का पाना (अथवा मूर्ति)
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श्रीकृष्ण की मूर्ति, श्रीकृष्ण को अर्पित करने हेतु वस्त्र, जल कलश (तांबे या मिट्टी का), सफेद कपड़ा (आधा मीटर), लाल कपड़ा (आधा मीटर), पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार), दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, बन्दनवार, ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), श्रीफल (नारियल), धान्य (चावल, गेहूं), पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल), एक नई थैली में हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया व दूर्वा आदि, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र।
जन्माष्टमी की पूजा विधि कैसे शुरू करें –
जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी की पूजा को नहा धोकर और सभी सामग्री को एक जगह एकत्रित करके पूजा शरू करें।
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पूजा शुरू करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होता हैं जैसे- कृष्ण भगवान की पूजा शुरू करने से पहले आप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे।
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इसके बाद हाथ में जल, फल, कुश, फूल और गंध लेकर
‘ममाखिलपापप्रशमनपूर्वकसर्वाभीष्टसिद्धये श्रीकृष्णजन्माष्टमीव्रतमहं करिष्ये’
मंत्र का जाप करके संकल्प करें। अब पूजा विधि प्रारम्भ होती हैं.
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के चरण-
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