Raksha Bandhan 2021:रक्षा बंधन पर भद्राकाल में न बांधे राखी,जानें शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार भी इससे अछूता नहीं रहता। इस वर्ष रक्षा बंधन का पावन पर्व 22अगस्त 2021(Raksha-Bandhan-2021-date),रविवार को पड़ रहा है,लेकिन इसके साथ ही भद्राकाल का साया भी है,जिसमें राखी बांधना अशुभ माना जाता है।

रक्षाबंधन में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है

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नई दिल्ली:श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को भाई-बहन के प्यार का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन मनाया जाता है।

रक्षा बंधन(Raksha-Bandhan)के दिन भाई बहनों की ताउम्र रक्षा का वचन देता है और बहनें अपने भाईयों की दीर्घायु की कामना करती है,लेकिन हर सकारात्मकता पर नकारात्मकता का साया भी बरकरार रहता है।

रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार भी इससे अछूता नहीं रहता। इस वर्ष रक्षा बंधन का पावन पर्व 22अगस्त 2021(Raksha-Bandhan-2021-date),रविवार को पड़ रहा है,लेकिन इसके साथ ही भद्राकाल का साया भी है,जिसमें राखी बांधना अशुभ माना जाता है।

हिंदु पंचागानुसार भद्राकाल(Bhadra Kaal) में शुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए।

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इसलिए रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त जानने से पहले जरुरी है कि आप जानें भद्राकाल का साया कितने बजे से कितने बजे तक है-BhadraKaal-time

22 अगस्त 2021 को प्रात: 6.16 बजे तक भद्रा की उपस्थिति है।यही कारण है कि प्रात: 6.16 बजे तक रक्षा सूत्र नहीं बांध सकेंगे।

शाम को 04 बजकर 30 मिनट से राहुकाल आरंभ होने से पहले रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा सकेगा।

शास्त्रों में भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन पर चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि पर संचार करेंगे।

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आखिर भद्राकाल में क्यों नहीं बांधते राखी?

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ होता है। दरअसल शास्त्रों में राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

पौराण‍िक मान्‍यताओं के मुताबिक, भद्रा में राखी न बंधवाने की पीछे कारण है कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा में राखी बंधवाई और एक साल के अंदर उसका विनाश हो गया।

इसलिए इस समय को छोड़कर ही बहनें अपने भाई के राखी बांधती हैं। वहीं यह भी कहा जाता है कि भद्रा शनि महाराज की बहन है।

उन्हें ब्रह्माजी जी ने शाप दिया था कि जो भी व्यक्ति भद्रा में शुभ काम करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसके अलावा राहुकाल में भी राखी नहीं बांधी जाती है

माना जाता है कि भद्राकाल में भगवान शिव तांडव करते हैं तो इस वजह से भी कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

जानें कब है रक्षा बंधन 2021?

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हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षा बंधन का त्यौहार हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इस साल पूर्णिमा तिथि 22 अगस्त 2021, दिन रविवार को है।

इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार,रविवार,22 अगस्त 2021 को धूमधाम से मनाया जाएगा।

 

 

रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-rakhi-shubh-muhurat

पंचांग के अनुसार, इस बार राखी पर पूरे दिन भद्रा नहीं रहेगी।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 21 अगस्त की शाम 03 बजकर 45 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 22 अगस्त की शाम 05 बजकर 58 मिनट तक

शुभ समय – 22 अगस्त, रविवार सुबह 6.17 बजे से शाम 06:03 बजे तक.

रक्षा बंधन के लिए दोपहर का उत्तम समय – 22 अगस्त को 01:44 बजे से 04:23 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:04 से 12:58 मिनट तक

अमृत काल – सुबह 09:34 से 11:07 तक

ब्रह्म मुहूर्त – 04:33 से 05:21 तक

भद्रा काल – 23 अगस्त, 2021 सुबह 05:34 से 06:12 तक

शाम को 4 बजकर 30 मिनट तक राहु काल आरंभ होने से पहले रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है। 

यानी कि बहनें शाम के साढ़े चार बजे तक अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।

शास्‍त्रों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना बेहद अशुभ माना जाता है। इस बार के रक्षाबंधन पर चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में गोचर करेंगे और भद्रा नहीं रहेगी।

 

 

क्यों मनाते है रक्षाबंधन का त्यौहार?

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-पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि को वचन देकर जब विष्णु पाताल जा पहुंचे तो श्रावण माह की पूर्णिमा को ही लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर विष्णु को मांगा था।

इसके बाद भगवान विष्णु पाताल लोक से फिर स्वर्ग लोग में वापस आएं। 

– एक अन्य मान्यता के मुताबिक, राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई। 

-पुराणों के मुताबिक भगवान सूर्य की पुत्री और शनि की बहन भद्रा की मां का नाम छाया है। उनका रूप बे‍हद डरावना माना जाता है। इनके केश लंबे, दंत विकराल और वर्ण श्‍याम है और बहुत ही भयभीत करने वाला रूप है।

– शुक्‍ल पक्ष में भद्रा चतुर्थी, अष्‍टमी, एकादशी और पूर्णिमा को होती हैं। वहीं कृष्‍ण पक्ष में भद्रा तृतीया, सप्‍तमी, दशमी और चतुर्दशी को होती हैं। शुक्‍ल पक्ष की भ्रदा बृश्चिकी और कृष्‍ण पक्ष की भद्रा सर्पिणी कहलाती है।

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Radha Kashyap: