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Saturday Thoughts: ज़िन्दगी साइकिल चलाने के जैसे हैं बैलेंस बनाये…

...रखने के लिए आप को चलते रहना होता हैं

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ज़िन्दगी साइकिल चलाने के जैसे हैं

बैलेंस बनाये रखने के लिए

आप को चलते रहना होता हैं

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अपनी जिंदगी में कभी भी पैसों के

चक्कर में अपने आत्मसम्मान

के साथ समझौता ना कर बैठना।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मुझे अपने किसी कार्य या वक्तव्य से किसी व्यक्ति को उसकी नज़रों में “गिराने” का कोई अधिकार नहीं है।

मैं उसके बारे में क्या सोचता हूँ, ये मायने नहीं रखता।

मायने रखता है कि वे ख़ुद के बारे में क्या सोचते हैं।

किसी इंसान के आत्मसम्मान को खोखला करना पाप है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

खुशियां सब कुछ पा लेने में नहीं,

जितना मिला उसमें थोड़ा बाँट देना असली ख़ुशी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।