Sunday Thoughts-अपनी वफ़ा का और क्या सबुत दूँ…

...छेद था तेरी कश्ती में, फिर भी सफ़र से इनकार नहीं किया

SundayThoughts-अपनी वफ़ा का और क्या सबुत दूँ...

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अपनी वफ़ा का
और क्या सबुत दूँ
छेद था तेरी कश्ती में
फिर भी सफ़र से इनकार नहीं किया

इंसान की समझ सिर्फ इतनी हैं,
कि उसे “जानवर” कहो तो नाराज हो जाता हैं
और “शेर” कहो तो खुश हो जाता हैं
जबकि शेर भी जानवर का ही नाम है 

दोस्त

सच्चें होने चाहिए 

अच्छे तो 

कुत्तें भी होते है…

मौत के लिए तो

जहर बना दिया गया 

काश की जिंदगी के लिए भी

कुछ सोचा होता

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Monday Thought : एक मंदिर के बाहर लिखा था.. बेझिझक भीतर चले आइये,

Sunday Thoughts : दुनिया के रीति है, यहाँ मजबूत से मजबूत… 

Saturday Thoughts : ना बादशाह चलता है… ना इक्का चलता है …

Friday Thoughts : जितना तेज़ होता है, उतना तेज़ डाऊनलोड नही होता

Thursday Thoughts : कल शीशा था, सब देख-देख कर जाते थे, आज टूट गया..,

Wednesday Thoughts : प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है, हर किसी की क्षमता और कमजोरियां

Monday Thoughts : कटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई बूंदों ने बस यही बताया है….,

Sunday Thoughts : वक्त और किस्मत पर कभी घमंड मत करों 

( इनपुट सोशल मीडिया से )

Dropadi Kanojiya: द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।