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Sunday Thoughts – उंगली उठे तो बेइज्जती, अंगूठा उठे तो तारीफ़

और यदि उंगली से अंगूठा मिले तो लाजवाब, बस यही है जिंदगी का हिसाब-किताब

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उंगली उठे तो बेइज्जती

अंगूठा उठे तो तारीफ़ 

और यदि उंगली से अंगूठा 

मिले तो लाजवाब 

बस यही है जिंदगी का हिसाब-किताब 

 

इंसान में इंसान वाली 

खूबियाँ ही तलाशा करों 

भगवान वाली नहीं 

जिंदगी में एक बात तय है,

कि…

तय कुछ भी नहीं है

अपमान करना किसी के “स्वभाव” में
हो सकता है, पर सम्मान करना हमारे
संस्कार में होना चाहिए !!

और महिलाएं इसका एक आदर्श उदाहारण है…

 परख से परे है ये शख्शियत मेरी

मैं उन्हीं की हूँ, जो मुझ पे यकीं रखते हैं

 (स्त्री पर यह बात 100% लागू होती है)

 मन ऐसा रखो कि

किसी को बुरा न लगे, दिल ऐसा रखो कि

किसी को दुःखी न करें।

रिश्ता ऐसा रखो कि उसका अंत न हो

और आपकी जिंदगी में स्त्री से रिश्ता ही सच्चा रिश्ता है l 

चाहे वो बहन-बीवी का रिश्ता हो या,

चाची-नानी-दादी-मामी हो या माँ का….  

ये शीशे, ये रिश्तें
ये सपने, ये धागे
और ये जिंदगी…
किसे क्या खबर है
कहाँ टूट जायें..!!!

संभव और असंभव

के बीच की दूरी

व्यक्ति की सोच और कर्म

पर निर्भर करती है…

मैं शून्य हूँ

मुझे पीछे ही रखना

मेरा फर्ज सिर्फ आपकी 

कीमत बढ़ाना है  

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना,मेरा फर्ज सिर्फ आपकी कीमत बढ़ाना है

क्या बात करें इस दुनिया की

हर शख्स के अपने अफ़साने है, 

जो सामने है लोग उसे बुरा कहते है 

जिसको  देखा  नहीं उसे खुदा कहते है….

मुठ्ठियों में क़ैद हैं जो खुशियाँ
सब में बांट दो…

आपकी हो या मेरी हो
हथेलियां एक दिन तो खाली ही जानी हैं..

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।