Thursday Thoughts : किसी की बातें इतनी नहीं चुभती-जितनी उसकी ख़ामोशी चुभती है

और किसी की मार  इतनी नहीं चुभती...जितनी की उसके बातें चुभती है... यह अपना-अपना नजरिया है कही लाखों पकवान है फिर भी इंसान भूखा है - दुखी है  तो कही सिर्फ रोटी-सब्जी में भी इंसान सुखी है

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किसी की बातें इतनी नहीं चुभती

जितनी उसकी ख़ामोशी चुभती है ….

और किसी का तमाचा इतना नहीं चुभता  

जितनी की उसके बातें चुभती है 

यह अपना-अपना नजरिया है

कही लाखों पकवान है फिर भी इंसान भूखा है – दुखी है 

तो कही सिर्फ रोटी-सब्जी में भी इंसान सुखी है 

 

 

 

 

 

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Dropadi Kanojiya: द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।