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Thursday Thoughts : कल शीशा था, सब देख-देख कर जाते थे, आज टूट गया..,

...सब बच-बच कर जाते हैं. समय के साथ, देखने और इस्तेमाल का नजरिया बदल जाता है. : गुरूवार सुविचार

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कल शीशा था,
सब देख-देख कर जाते थे।
आज टूट गया,
सब बच-बच कर जाते हैं।
समय के साथ,
देखने और इस्तेमाल का
नजरिया बदल जाता है।

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।