Thursday Thoughts : जो हो कर भी न हो, उसका होना कैसा…सिर्फ नाम के रिश्तें से शिकवा कैसा… रोना कैसा

उत्तम कार्य करना सिर्फ़ इसलिए कभी न छोड़ें, क्योंकि आप को श्रेय नहीं मिलता : सुविचार

Thursday Thoughts - जो हो कर भी न हो,उसका होना कैसा सिर्फ नामके रिश्तें से शिकवा कैसा रोना कैसा 

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जो हो कर भी न हो 

उसका होना कैसा…

सिर्फ नाम के रिश्तें से

शिकवा कैसा… रोना कैसा  

उत्तम कार्य करना

सिर्फ़ इसलिए

कभी न छोड़ें,

क्योंकि आप को

श्रेय नहीं मिलता 

रिश्ते, प्यार और मित्रता हर जगह पाये जाते हैं,

परन्तु ये ठहरते वहीं हैं 

जहां पर इन्हें आदर मिलता है ।।

रिश्ता कभी खत्म नहीं होता,

बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है,

आँखो से छूटा तो यादों में रह जाता है.. 

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( इनपुट सोशल मीडिया से )

Dropadi Kanojiya: द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।