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नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला-चार जजों ने वैध और एक ने अवैध करार दिया,जानें अहम बातें

8 नवंबर 2016 को पूरे देश में अचानक रात आठ बजे पीएम मोदी(PM Modi) ने 1000 और 500 रुपये के नोट बंद किए जाने का फैसला लागू कर दिया।जिसे नोटबंदी(Demonetisation)कहा गया।

Modi-Govt-Demonetisation-was-valid-Supreme-court-verdict-Highlights

8 नवंबर 2016 को पूरे देश में अचानक रात आठ बजे पीएम मोदी(PM Modi) ने 1000 और 500 रुपये के नोट बंद किए जाने का फैसला लागू कर दिया।जिसे नोटबंदी(Demonetization)कहा गया।

जिसके चलते रातों रात पूरा देश एकसाथ घंटो-घंटो नोट बदलवाने के लिए बैंकों के बाहर कामकाज छोड़कर लाइनों में लगा नजर आया।

जिसके चलते कई लोगों की न केवल मौत हुई बल्कि उनकी जमा-पूंजी बैंकों में जाने से दैनिक जरुरतों और आपात स्थितियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट में Modi Govt के नोटबंदी के फैसले की वैधानिकता को चुनौती दी गई तो सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को वैध करार दे दिया(Modi-Govt-Demonetisation-was-valid-Supreme-court-verdict-Highlights)है।

हालांकि नोटबंदी पर फैसला(Supreme court verdict on Notebandi) पांच जजों की संविधान पीठ ने दिया है,जिनमें चार जजों ने नोटबंदी को वैध और एक जज ने नोटबंदी की प्रक्रिया को अवैध करार दिया है।

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 4-1 के बहुमत से आया(Modi-Govt-Demonetisation-was-valid-Supreme-court-verdict-Highlights)है।

आपको बता दें कि नोटबंदी(Notebandi)लागू करते हुए सरकार ने कहा था कि उसने नोटबंदी का फैसला कैश ट्रांजेक्शन कम और डिजिटलाइजेशन करने,काला धन वापस लाने,नकली नोटों पर लगाम लगाकर भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए किया है,

लेकिन नोटबंदी(Demonetisation)के बाद आई RBI की रिपोर्ट्स से साफ हो गया कि चलन से बाहर किए गए 99% नोट वापस आ गए यानि जितना दावा किया गया था उसमें से 1फीसदी ही नकली नोट चलन में थे और नोटबंदी के बाद पहले से कहीं ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन बढ़ा है और न ही काला धन वापस आया है

ऐसे में कांग्रेस सहित विपक्ष दबी जुबान में सुप्रीम कोर्ट के नोटबंदी पर सरकार को दी गई क्लीन चिट पर सवाल उठा रहा है।

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दरअसल, नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर कल सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया।

5 न्यायमूर्तियों की बेंच में 4 ने बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला दिया। वहीं जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग (Modi-Govt-Demonetisation-was-valid-Supreme-court-verdict-Highlights)रही।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी की घोषणा से पहले छह महीने तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार के बीच परामर्श हुआ था. गौरतलब है कि अदालत ने कहा कि यह “प्रासंगिक नहीं” है कि क्या रातोंरात प्रतिबंध का उद्देश्य हासिल किया गया था।

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नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें:-Modi-Govt-Demonetisation-was-valid-Supreme-court-verdict-Highlights

 

1.  क्या बैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं का केंद्र विमुद्रीकरण कर सकता है?

आदेश: केंद्र की शक्ति को केवल “एक” या “कुछ” बैंक नोटों की श्रृंखला के विमुद्रीकरण तक सीमित नहीं किया जा सकता है. इसके पास बैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं के लिए ऐसा करने की शक्ति है.

2. नोटबंदी के लिए आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) अधिनियम के तहत एक अंतर्निहित सुरक्षा है?

आदेश: आरबीआई अधिनियम अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल के लिए प्रदान नहीं करता है। एक अंतर्निहित सुरक्षा है कि केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ऐसी शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए. इसलिए इसे गिराया नहीं जा सकता है।

3. निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई दोष नहीं?

आदेश: 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना में निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं है।

4. विमुद्रीकरण(Demonetisation)अधिसूचना आनुपातिकता के परीक्षण को संतुष्ट करती है। अदालत ने आंकलन किया कि क्या नकली मुद्रा और काले धन को जड़ से खत्म करने और औपचारिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने जैसे उद्देश्यों से निपटने के लिए नोटबंदी ही एकमात्र विकल्प था?

आदेश: निर्णय आनुपातिकता की कसौटी पर खरा उतरता है और उस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है. आनुपातिकता के परीक्षण का अर्थ उद्देश्य और उस उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने वाले साधनों के बीच एक “उचित लिंक” है।

5. नोट बदलने के लिए 52 दिन अनुचित नहीं?

इस सवाल पर कि इसके लिए लोगों को समय नहीं दिया गया, कोर्ट ने कहा, ”लोगों को नोट बदलने के लिए 52 दिन का समय दिया गया। हमें नहीं लगता कि यह कहीं से भी गलत है।”

 

6. आरबीआई एक निश्चित अवधि के बाद बैंकों को विमुद्रीकृत नोटों को स्वीकार करने का निर्देश नहीं दे सकता था?

असहमति जताने वाले जज जस्टिस बीवी नागरथना ने केंद्र द्वारा शुरू की गई नोटबंदी को “दूषित और गैरकानूनी” कहा, लेकिन कहा कि यथास्थिति को अब बहाल नहीं किया जा सकता है.

न्यायाधीश ने कहा कि इस कदम को संसद के एक अधिनियम के माध्यम से क्रियान्वित किया जा सकता था. 

 

 

 

 

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