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Friday Thoughts: आप तब कुछ नहीं कर पाते,जब आप खुद को…

....उनकी नज़रों से देखने लगते हैं, जो सोचते हैं की आप कुछ नहीं कर सकते।

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आप तब कुछ नहीं कर पाते,

जब आप खुद को उनकी नज़रों से देखने लगते हैं,

जो सोचते हैं की आप कुछ नहीं कर सकते।

 

 

 

 

दुःख में स्वयं की एक उंगली ही आंसू पोंछती है

और सुख में दसों उंगलियाँ ताली बजाती है….

जब अपना शरीर ही ऐसा करता है, 

तो दुनिया का गिला शिकवा क्या करना 

 

 

 

 

 

वो जो अपना भविष्य आनंदमय बनाना चाहता है

उसे अपना वर्तमान नहीं बर्वाद करना चाहिए.

 

 

 

 

 

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।