सुविचार-सबकुछ…कुछ भी नहीं है, और कुछ भी नहीं… सब कुछ है.

छोड़ जाने की लाख वजह होने के बाद भी रुकने  की एक वजह ढूंढ लेना प्रेम है

सबकुछ कुछ भी नहीं है,और कुछ भी नहीं सब कुछ है... Thought Of The Day - सुविचार

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सबकुछ कुछ भी नहीं है,
और कुछ भी नहीं सब कुछ है.

छोड़ जाने की लाख वजह होने के बाद भी 

रुकने  की एक वजह ढूंढ लेना प्रेम है 

आज तक जिसको जितना ज्यादा महत्व दिया

उसने उतना ही ज्यादा हर्ट किया

कर्म बांधने के लिए अनेक भव है

लेकिन…

बुरे कर्म छोड़ने के लिए मात्र मनुष्य धर्म ही है… 

रिश्ता”बारिश जैसा नहीं होना चाहिए,

जो बरसकर खत्म हो जाए।

बल्कि

रिश्ता” हवा की तरह होना चहिये,

जो खामोश हो मगर सदैव आस पास हो। 

अपितु रिश्तों के प्रति आदर की अभिव्यक्ति भी है…

 “हर दिन मेरा सर्वश्रेष्ठ दिन है यह मेरी जिन्दगी है।

मेरे पास यह क्षण दुबारा नहीं होगा।”

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है परेशान कब और किस दिन काटें नाख़ून या बाल..? लो यह है समाधान…!

(इनपुट सोशल मीडिया से)

 

Dropadi Kanojiya: द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।