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Thursday Thoughts: साईं नाम में सब देव समाए, जो जिस रूप में साईं को ध्यावे

....साईं उस रूप में दर्श दिखावे, जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का

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साईं नाम में सब देव समाए, जो जिस रूप में साईं को ध्यावे,

साईं उस रूप में दर्श दिखावे,

जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।

 

 

 


मेरे पास रहो शांत रहो अन्य मैं संभाल लूँगा।

 

 

 

 

मैं किसी पर क्रोधित नहीं होता, क्या माँ अपने बच्चों से नाराज हो सकती है?

क्या समुद्र अपना जल वापस नदियों में भेज सकता है?

 

 

 

 

साई नहीं कहते मुझे चांदी या सोने के सिंघासन पर बिठाओ,

वो तो कहते हैं मन में श्रद्धा सबुरी रखो फिर अपने साईं को बुलाओ।

 

 

 

 

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।