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राहुलगांधी को दो साल की सजा, मिली जमानत, जाएगी सदस्यता..?

#rahulgandhi को कोर्ट द्वारा दी गईं सजा से जायेगी उनकी सदस्यता या नहीं..?

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सूरत / गुजरात / नयी दिल्ली (समयधारा) : देश भर में इस समय राहुल गांधी (#rahulgandhi) को मिली सजा को लेकर माहौल गर्माया है l 

(Surat) की एक अदालत ने ‘‘मोदी सरनेम’’ (Modi Surname) से जुड़े एक बयान को लेकर कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि (criminal defamation case) के एक मामले में उन्हें गुरुवार को दो साल जेल की सजा सुनाई।

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पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वकील बाबू मंगुकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन की रोक लगा दी,

ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें।

अदालत ने कांग्रेस नेता को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 के तहत दोषी करार दिया। ये धाराएं मानहानि और उससे जुड़ी सजा से जुड़ी हैं।

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अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या दो साल जेल की सजा होने पर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होगी या नहीं? दरअसल जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार,

दो साल या उससे ज्यादा समय के लिए जेल की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘‘दोषसिद्धि की तारीख से’’ अयोग्य घोषित किया जाएगा और,

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वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक अयोग्य रहेगा, यानी 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएगा।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत तकनीकी रूप से राहुल गांधी को दो साल की सजा होने के बाद लोकसभा से अयोग्य ठहराती है,

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जब तक कि हाई कोर्ट की तरफ से सजा पर रोक नहीं लगाई जाती है। फिलहाल राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बरकरार है,

क्योंकि क्योंकि उन्हें दोषी ठहराने वाली सूरत की अदालत ने उनकी सजा 30 दिनों के लिए निलंबित कर दी है।

इसके चलते वह तत्काल अयोग्यता से बच गए हैं। इससे पहले एक दिलचस्प किस्सा जान लीजिए,

क्योंकि शायद अगर राहुल गांधी ने 9 साल पहले वो अध्यादेश नहीं फाड़ा होता, तो आज उन्हें राहत मिल जाती।

दरअसल लिली थॉमस बनाम भारत सरकार मामले में एक मिसाल कायम की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में फैसला सुनाया कि कम से कम दो साल के लिए दोषी ठहराए जाने पर सांसदों समेत सांसदों की सदस्यता तुरंत खत्म हो जाएगी।

2013 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने फैसले को पलटने और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को बनाए रखने की कोशिश की,

जिसके तहत सांसदों को दोषी ठहराए जाने पर भी तीन महीने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था।

मगर तब खुद राहुल गांधी ने इस अध्यादेश को पूरी तरह से बकवास करार दिया था।

उन्होंने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ये अध्यादेश पूरी तरह बकवास है, इसे फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए। इतना कहते ही राहुल ने उस अध्यादेश को फाड़ दिया था।

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ये किस्सा सुनाने का मतलब यही था कि ये वो ही अध्यादेश था, जिसे शायद उस समय राहुल गांधी ने नहीं फाड़ा होता,

तो आज दोषी करार दिए जाने पर सांसदों को अपने सदस्यता खोने से तीन महीने तक राहत मिल जाती है।

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