शायरी : “कहाँ पर ,क्या ‘हारना’ है . ये ज़ज्बात ,जिसके अंदर है..
चाहे दुनियाँ ,फकीर समझे ,फिर भी,वो ही सिकंदर है. : शायरी की दुनिया
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(1) सूर्य अस्त होना इस बात का प्रतीक है कि..
अन्त भी खूबसूरत हो सकता है..!!
(2) आँखे आपकी हो
या मेरी हो
बस इतनी सी ख्वाहिश है
कभी नम न हो!!
(3)”कहाँ पर ,क्या ‘हारना’ है .
ये ज़ज्बात ,जिसके अंदर है..
चाहे दुनियाँ ,फकीर समझे ,फिर भी,वो ही सिकंदर है!.
(4) कदम कदम पर इम्तिहान रखती है..
ऐ जिंदगी तू मेरा कितना ध्यान रखती है..!!
(5)खुद से जीतने की जिद है मुझे,खुद को ही हराना है..
मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की,मेरे अन्दर एक जमाना है..!!
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