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Modi govt budget survey:72 फीसदी लोगों ने माना मोदी राज में बढ़ी महंगाई,आर्थिक मोर्चे पर मिली खराब रेटिंग

वर्ष 2020 को लेकर किए गए इस सर्वे में 46.4 फीसदी लोगों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के अंतर्गत केंद्र सरकार का अभी तक का आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन उम्मीद से खराब रहा है....

Modi govt budget survey says Inflation increased

नई दिल्ली:आज 1फरवरी,सोमवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण(Nirmala Sitharaman)संसद में आम बजट(Union Budget 2021) पेश करने वाली है।

इससे पहले हुए मोदी सरकार के लिए हुए बजट सर्वे (Modi govt budget survey)में 72 फीसदी लोगों ने माना है कि मोदी राज में महंगाई (Modi govt budget survey says Inflation increased)बढ़ी है

और आर्थिक मोर्चे पर भी सरकार का प्रदर्शन खराब रहा(gets worst rating on economic front) है।यह बात  IANS-CVOTER के बजट सर्वे में खुलकर सामने आई है।

यानि देश के तकरीबन तीन-चौथाई जनता ने माना है कि नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) के प्रधानमंत्री बनने पर महंगाई बढ़ी है या बेलगाम हुई (Modi govt budget survey says Inflation increased)है।

जबकि वर्ष 2015 में हुए सर्वे में महज 17.1 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि महंगाई बढ़ी है,लेकिन इस बार 72.1फीसदी लोगों ने माना है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से महंगाई बढ़ी ही है।

इतना ही नहीं,आईएएनएस-सीवोटर बजट ट्रैकर के सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद से आर्थिक मोर्चे पर भी सरकार को अब तक की सबसे खराब रेटिंग मिली (Modi govt worst rating on economic front)है।

महंगाई के कारण ज्यादातर भारतीयों ने माना है कि उन्हें अपने खर्च के मैनेजमेंट में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा(Modi govt budget survey says Inflation increased) है।

दरअसल, वर्ष 2020 को लेकर किए गए इस सर्वे में 46.4 फीसदी लोगों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के अंतर्गत केंद्र सरकार का अभी तक का आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन उम्मीद से खराब रहा है।

वहीं करीब 31.7 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है।

यह 2010 के बाद से किसी भी सरकार के लिए सबसे खराब स्कोर है। हालांकि इस मामले में 2013 का वर्ष अपवाद है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और पी. चिदंबरम वित्तमंत्री थे।

वर्ष 2013 में, 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा था कि आर्थिक मोर्चे पर काम उम्मीद से ज्यादा खराब है।

मोदी सरकार(Modi govt) की सर्वश्रेष्ठ आर्थिक अप्रूवल रेटिंग 2017 में तब आई थी, जब अरुण जेटली (Arun Jaitely) वित्तमंत्री थे। उस साल, 52.6 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि आर्थिक मामले में प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है।

आर्थिक मोर्चे (Economic front) पर घटती अप्रूवल रेटिंग चिंता का विषय है, क्योंकि अर्थव्यवस्था COVID-19 के प्रभाव के बाद फिर से अपने पुराने रूप में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है।

 

‘ज्यादातर भारतीयों ने माना की उन्हे अपने खर्च मैनेटमेंट में हो रही मुश्किलें’

अधिकांश भारतीयों को अपने खर्चों का प्रबंधन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण में यह बात सामने आई।

सर्वेक्षण में लगभग 65.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वर्तमान खर्चों को प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खर्च तो बढ़ गए हैं, लेकिन वे प्रबंधन योग्य हैं।

2.1 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक साल में उनके खर्च में कमी आई है और अन्य 2.1 प्रतिशत मामले पर प्रतिक्रिया नहीं दे सके।

‘2020 में अधिकांश भारतीयों की क्रयशक्ति कमजोर हुई’

सर्वे के अनुसार पिछले एक साल में अधिकांश भारतीयों की क्रय शक्ति कमजोर हो गई। आईएएनएस-सी वोटर के प्री-बजट सर्वेक्षण से पता चला है कि 43.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी आय उसी तरह बनी रही, जबकि खर्च बढ़(Modi govt budget survey says Inflation increased) गया,

जबकि 28.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं की आय गिर गई, लेकिन उनका खर्च बढ़ गया। लगभग 11.5 प्रतिशत ने कहा कि पिछले साल उनकी आय और व्यय दोनों में वृद्धि हुई है।

महामारी की वजह से वेतनभोगी और गैर-वेतनभोगी श्रेणी के आम आदमी की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस दौरान आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई और व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा।

क्षेत्रों में कई कंपनियों और प्रतिष्ठानों ने महामारी और अंतत: लॉकडाउन के कारण वेतन में कटौती और छंटनी का सहारा लिया।

आम आदमी के लिए महंगाई(inflation) पिछले साल एक प्रमुख चिंता का विषय रही, क्योंकि पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने उच्च कमोडिटी की बढ़ी हुई कीमतों के प्रभाव को महसूस किया।

 

Modi govt budget survey says Inflation increased

 

 

(इनपुट एजेंसी से)

 

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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