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गुलाम नबी आाजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया,सोनिया गांधी को चिट्टी लिख राहुल गांधी पर बोला हमला

विशेषज्ञों की राय है कि कांग्रेस में पुराने नेता और नए नेताओं के बीच टकराव बना हुआ है।ये पुराने नेता जिन्हें पार्टी ने आज तक बहुत कुछ दिया चाहते है कि अब भी उन्हें ही राज्यसभा और उच्च पदों पर टिकट दिया जाएँ,जबकि वक्त की मांग को देखते हुए कांग्रेस पार्टी को भी नए नेताओं को ऊपर उठाने की जरूरत है,जिन्हें आगे बढ़ाने पर ये लोग नाराज हो जाते है। इसके कारण लगातार कांग्रेस कमजोर होती जा रही है।

Ghulam-Nabi-Azad-resigns-from-Congress-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने आज,शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे(Ghulam-Nabi-Azad-resigns-from-Congress) दिया और अंतत: कांग्रेस छोड़ दी।

आपको बता दें कि कि काफी लंबे समय से गुलाम नबी आजाद(Ghulam-Nabi-Azad)कांग्रेस से नाराज चल रहे थे।

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस(Congress)की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)को चिट्ठी लिखकर पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए राहुल गांधी पर हमला बोला(write-a-letter-Sonia-Gandhi-attack-on-Rahul-Gandhi)है।

कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए गुलाम नबी आजाद(Ghulam-Nabi-Azad-resigns-from-Congress)ने राहुल गांधी(Rahul Gandhi)पर जमकर भड़ास निकाली और आरोप लगाया कि उनका व्यवहार बचकाना है।

आजाद ने इस संबंध में सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें राहुल गांधी पर हमला बोला गया है।

उन्होंने इस खत में राहुल पर बचकाने व्यवहार का आरोप लगाया और कांग्रेस की ‘खस्ता हालात’ और में 2014 लोकसभा चुनाव में हार के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है।

सोनिया गांधी को लिखी गई 5 पेज की चिट्ठी में गुलाम नबी आजाद ने लिखा(Ghulam-Nabi-Azad-resigns-from-Congress-write-a-letter-Sonia-Gandhi-attack-on-Rahul-Gandhi)है, जनवरी 2013 में राहुल गांधी को आपके द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी में मौजूद सलाह-मशविरे के सिस्टम को उन्होंने खत्म कर दिया।

सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और बिना अनुभव वाले चाटुकारों की मंडली पार्टी को चलाने लगी।

वह कांग्रेस के नाराज नेताओं के जी 23 गुट में शामिल थे। जी -23 गुट कांग्रेस में लगातार बदलाव की मांग करता रहा है। इससे पहले कांग्रेस के नेता कपिल सिबब्ल ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें सपा ने राज्यसभा भी भेजा है।

इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया(Ghulam-Nabi-Azad-resigns-from-Congress)था।

उन्हें उसी दिन इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था।

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा है कि उनका इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसे समय में जब श्री राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा शुरु करने जा रही है और महंगाई का मुद्दा जोर-शोर से मिलकर उठा रही है तब वरिष्ठ नेता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे है और इस मुहिम का हिस्सा नहीं बनना चाहते।

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गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों की राय है कि कांग्रेस में पुराने नेता और नए नेताओं के बीच टकराव बना हुआ है।ये पुराने नेता जिन्हें पार्टी ने आज तक बहुत कुछ दिया चाहते है कि अब भी उन्हें ही राज्यसभा और उच्च पदों पर टिकट दिया जाएँ,

जबकि वक्त की मांग को देखते हुए कांग्रेस पार्टी को भी नए नेताओं को ऊपर उठाने की जरूरत है,जिन्हें आगे बढ़ाने पर ये लोग नाराज हो जाते है।इसके कारण लगातार कांग्रेस कमजोर होती जा रही है।

बुरे वक्त में पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहने और अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को दरकिनार करने की जगह ये लोग अपने राजनीतिक भविष्य के लिए पार्टी छोड़ रहे है।

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अजय माकन ने कहा जब कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और संगठन,महंगाई और देश के मुद्दों पर लड़ रहे है तब गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ लोग पार्टी छोड़ रहे है।

सूत्रों के अनुसार, बीते काफी समय से गुलाम नबी आजाद की नजदीकियां पीएम मोदी के साथ देखी जा रही थी और वह सिर्फ मौके की तलाश में थे।

उन्होंने पार्टी लाइन से अलग होकर पीएम मोदी द्वारा दिए गए पुरस्कार को स्वीकार भी किया था।

भले ही इनकी पार्टी में राहुल गांधी से नाराजगी मुद्दो पर हो सकती है लेकिन भाजपा से नजदीकियां इनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा को दर्शाती है।

 

 

 

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shweta sharma

श्वेता शर्मा एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। लेकिन अब अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। श्वेता शर्मा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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