indian sayris
- शायरी
शायरी : हथेली पर रखकर नसीब.. “तु क्यों अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है..”
jindagi-shayaris shayri-ki-duniya shayari-ki-dairy sayri-hi-sayri कौन कहता हैं की, नेचर और सिग्नेचर कभी बदलता नही बस एक चोट की दरकार हैं!!…
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शायरी : हथेली पर रखकर नसीब.. "तु क्यों अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है.."
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राज शायरी : बातें ऐसी करो कि जज्बात कम न हों,ख़यालात ऐसे रखो….
shayris-in-hindi indian shayri बातें ऐसी करो कि जज्बात कम न हों, ख़यालात ऐसे रखो के कभी ग़म न हो, दिल…
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