अगर आप ने कुछ ऐसा किया तो आपकी वकालत हो जाएगी रद्द ..! इस वजह से ही 260 वकीलों की मान्यता हुई हें रद्द
अगरतला, 8 मार्च : कहते है की एक वकील बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और मेहनत के बाद भी आप वकील बन जाओ उसके बाद आप कुछ करो ही नहीं फिर भी आपकी वकील की मान्यता रद्द कर दी जाएँ l तो आपको गुस्सा आयेगा ही ऐसा ही हुआ है इन बेचारे 260 वकीलों के साथ l एक नहीं दो नहीं पुरे 260 वकीलों ने यही किया या यु कहे उन्होंने कुछ किया ही नहीं फिर भी उनकी मान्यता रद्द हो गयी ..! यह कोई बेचारे नहीं है इन्होने कुछ किया ही नहीं मतलब की इन्होने पिछले पांच सालों में अदालतों में प्रैक्टिस नहीं की और इसी वजह से त्रिपुरा बार काउंसिल ने इन 260 वकीलों की मान्यता रद्द कर दी l
त्रिपुरा की बार काउंसिल ने पिछले पांच सालों में अदालत में प्रैक्टिस नहीं करने वाले 260 वकीलों की मान्यता रद्द कर दी है। त्रिपुरा बार काउंसिल के अध्यक्ष पीयूष कांति बिस्वास ने हमारे सहयोगी एजेंसी से कहा, “बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) के निर्देश पर त्रिपुरा बार काउंसिल ने प्रैक्टिस न करने वाले वकीलों की पहचान की प्रक्रिया पिछले साल शुरू की थी। इसके तहत 260 वकीलों की पहचान की गई, जिन्होंने पिछले पांच सालों में अदालतों में प्रैक्टिस नहीं की।”
त्रिपुरा के वरिष्ठ वकील बिस्वास ने कहा, “अगर मान्यता रद्द किए गए वकील अदालत में फिर से प्रैक्टिस शुरू करना चाहते हैं, तो सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स, 2015 के तहत उनके मामले की जांच की जाएगी और बार काउंसिल इसके बाद इस पर फैसला लेगी।”
इन 260 वकीलों की बार एसोसिएशन की सदस्यता भी रद्द कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा, “कई लोगों ने सालों पहले वकालत की डिग्रियां ली थीं और वकील के तौर पर अपना पंजीकरण कराया था। लेकिन, कुछ ने कोई अन्य पेशा अपना लिया, कुछ राजनेता बन गए और कुछ लोगों ने कई अन्य कारणों से वकालत नहीं की।”
त्रिपुरा बार काउंसिल के प्रमुख के मुताबिक, जिन वकीलों की मान्यता रद्द की गई है, उन्होंने पांच सालों या इससे ज्यादा समय से अदालत में प्रैक्टिस नहीं की।
जिन वकीलों की मान्यता रद्द की गई है, उनमें त्रिपुरा विधानसभा अध्यक्ष रामेंद्र चंद्र देवनाथ, तृणमूल कांग्रस के नेता व विधायक सुदीप रॉय बर्मन, उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री समीर रंजन बर्मन, भारतीय जनता पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष सुबल भौमिक के नाम भी शामिल हैं।
बीसीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल लागू करके फर्जी और प्रैक्टिस न करने वाले वकीलों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की थी।
बिस्वास ने कहा कि राज्य बार कांउसिल ने प्रैक्टिस कर रहे वकीलों और प्रैक्टिस नहीं करने वाले वकीलों को अलग करने के लिए बीसीआई के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
बिस्वास ने कहा, “जिन वकीलों ने सरकारी नौकरियों या अन्य सेवाओं में काम करते हुए वकालत की डिग्री ली, उन्हें भी अदालत में प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि इस वर्ग के वकीलों की पहचान अभी नहीं की गई है।”
–आईएएनएस