Iran-Israel के बीच जारी तनाव क्या World War-III का आगाज है..? जानें भारत पर इसका असर

यूक्रेन-रूस ईरान-इजराइल देशों के बीच जारी लड़ाई विश्व को तीसरे विश्व युद्ध की तरफ लेकर जा रही है.

Iran-Israel-Tension Impact-On-India

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ईरान/इजराइल/ नईं दिल्ली (समयधारा) : ईरान-इजराइल के बीच जारी तनाव (Iran-Israel Tension) 

यूक्रेन-रूस के बीच जारी लड़ाई विश्व को तीसरे विश्व युद्ध (#WorldWar-III) की तरफ लेकर जा रही है l 

इजराइल पर ईरान के हमले के बाद दोनों देशों में तनाव काफी बढ़ गया है।

भारत ने कहा है कि वह इजराइल और ईरान (Iran Israel Conflict) के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर बेहद चिंतित है।

साथ ही तनाव कम करने की अपील करता है। भारत का चिंतित होना लाजमी भी है l 

एक ओर, वह ईरान के साथ अपनी आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रहा है,

वहीं दूसरी ओर वह इस बात पर भी नजर रख रहा है कि इन सबका, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में उसकी स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

इजराइल पर ईरान की ओर से हाल ही में किए गए ड्रोन हमले और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज ट्रेड रूट में,

इजराइल से जुड़े जहाज को जब्त करने से हर कोई चिंतित है और भारत भी इससे अलग नहीं है।

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लगभग 10,000 भारतीय नागरिक ईरान में और 18,000 इजराइल में रहते हैं।

भारत की सबसे बड़ी चिंता बढ़ते तनाव के बीच अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर है।

इसके अलावा आर्थिक पहलू भी हैं। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी अधर में लटकी हुई है।

इस भागीदारी में चाबहार बंदरगाह के विकास जैसे प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। चाबहार बंदरगाह, क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का प्रतीक है।

सैन्य शत्रुता के कारण कोई भी व्यवधान इन प्रयासों को खतरे में डाल सकता है और एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग,

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) तक भारत की पहुंच में बाधा पैदा कर सकता है।

ईरान और इजराइल के बीच तनाव गंभीर मोड़ पर पहुंचने से भारत को चौतरफा युद्ध के संभावित परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।

संघर्ष में वृद्धि पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र को अस्थिर कर सकती है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार मार्ग और क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।

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इसके अलावा, एक लंबा संघर्ष पड़ोसी देशों को भी खींच सकता है, जिससे भारत के लिए स्थिति और मुश्किल हो सकती है।

भारत की कूटनीतिक पैंतरेबाजी लगातार जटिल होती जा रही है क्योंकि वह ईरान और इजराइल दोनों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहता है।

ऐतिहासिक रूप से भारत के ईरान के साथ मजबूत संबंध रहे हैं, विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्तरीय लेन-देन और सहयोग समझौते हुए हैं।

इसी तरह, रक्षा और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में इजराइल के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी, जटिलता को और बढ़ा देती है।

क्षेत्र में शांति और स्थिरता की वकालत करते हुए इन रिश्तों में बैलेंस बनाए रखने के लिए भारत की ओर से कुशल कूटनीतिक भागीदारी की जरूरत है।

ईरान के साथ भारत का आर्थिक जुड़ाव व्यापार, निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास सहित विविध क्षेत्रों तक फैला हुआ है।

चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट, विशेष रूप से द्विपक्षीय सहयोग की आधारशिला है।

इसके अलावा, ईरान के साथ भारत के व्यापार संबंधों में चावल और फार्मास्यूटिकल्स से लेकर मशीनरी और ज्वैलरी तक, सामान की एक विस्तृत रेंज शामिल है।

इसके अलावा भारतीय कारोबारों की ईरान और इजराइल दोनों में अच्छी मौजूदगी है,

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जो आर्थिक गतिविधियों में योगदान देते हैं और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर विकास प्रोजेक्ट से लेकर व्यापार साझेदारी तक,

भारतीय कंपनियां देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, इन कारोबारों को बढ़ते जोखिमों और अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ता है।

(इनपुट एजेंसी से भी)

समयधारा डेस्क: