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SAARC बैठक रद्द,तालिबान को शामिल करने की पाक की नापाक चाल नाकाम

पाकिस्तान चाहता था कि तालिबान की नई सरकार को सार्क देशों की बैठक(SAARC Meet) में शामिल किया जाए,जिससे उसे यहां तालिबान (Taliban)के रूप में सहयोगी मिल सकें।

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नई दिल्ली:सार्क(South Asian Association for Regional Cooperation)देशों के विदेश मंत्रियों की शानिवार को प्रस्तावित बैठक रद्द हो गई है।

इसके साथ ही तालिबान की आड़ में भारत(India)को लेकर पाकिस्तान के नापाक मंसूबे भी नाकाम हो गए है।

दरअसल,पाकिस्तान चाहता था कि तालिबान की नई सरकार को सार्क देशों की बैठक(SAARC Meet) में शामिल किया जाए,जिससे उसे यहां तालिबान (Taliban)के रूप में सहयोगी मिल(Pakistan-wants-Taliban’s-Participation)सकें।

लेकिन पाकिस्तान के मुंह पर करार तमाचा पड़ा,जब भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और अंतत:सार्क बैठक ही रद्द कर दी(SAARC-Foreign-Ministers-Meeting-cancelled)गई।

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सूत्रों के मुताबिक,भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों ने तालिबान को सार्क में शामिल करने के पाकिस्तान के  प्रस्ताव का विरोध किया और आखिरकार यह बैठक ही कैंसल कर दी गई।

बता दें तालिबान की नई सरकार को ज्यादातर देशों ने मान्यता अभी तक नहीं दी है।

प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सार्क (SAARC Meeting) की यह बैठक न्यूयॉर्क में शनिवार को प्रस्तावित थी, जिसे अब रद्द कर दिया(SAARC-Foreign-Ministers-Meeting-cancelled) गया है।

विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने चालबाजी करते हुए बैठक में तालिबान को भी प्रतिनिधित्व देने की मांग उठा (Pakistan-wants-Taliban’s-Participation)दी।

भारत औऱ सार्क के कई अन्य सदस्य देशों ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। ऐसे में कोई सहमति न बन पाने के बाद यह मीटिंग ही रद्द कर दी गई।

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ऐसा कहा जाता है कि ज्यादातर देश इस बात पर राजी थे कि अफगानिस्तान (Afghanistan) की कुर्सी मीटिंग के दौरान खाली रखी जाए, लेकिन पाकिस्तान अड़ा रहा, जिसके बाद मीटिंग ही रद्द कर दी(SAARC-Foreign-Ministers-Meeting-cancelled) गई।

नेपाल को सार्क की इस बैठक की अध्यक्षता करनी थी। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly)के दौरान ही सालाना तौर पर आयोजित की जाती है।

दरअसल, तालिबान को अभी तक भारत ने मान्यता नहीं दी है।

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दुनिया के ज्यादातर देशों ने भी अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया है। तालिबान की नई सरकार में कई यूएन(UN) द्वारा घोषित आतंकी शामिल हैं।

अमीर खान मुत्ताकी तालिबान की मौजूदा सरकार में कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं, लेकिन यूएन और उससे जुड़ी बैठकों मे उनके भाग लेने की कोई संभावना नहीं है।

बीते महीने शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization) की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने भी तालिबान के प्रति कड़े रुख का इजहार किया था।

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उन्होंने एससीओ मीट ((SCO meet) में कहा था कि नई सरकार समावेशी नहीं है और अफगानिस्तान में नई सरकार को मान्यता देने के पहले दुनिया भर को इस बारे में सोचना चाहिए।

पीएम मोदी ने याद दिलाया था कि नई सरकार में महिलाओं और अल्पसंख्यकों को कोई भी स्थान नहीं दिया गया है।

बता दें कि सार्क में भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका सदस्य देश हैं।

 

 

 

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(इनपुट एजेंसी से भी)

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