खुला करतारपुर कॉरिडोर जाने क्या है यात्रा के नए नियम, gurdwara darbar sahib kartarpur
kartarpur corridor reopens know rules for pilgrimage
नईं दिल्ली (समयधारा) : आज से करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया l
लगभग सभी दलों सहित सिख समुदाय के लोगों ने इसका स्वागत किया l
उल्लेखनीय है कि करतारपुर गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान में स्थित है और यह सिख समुदाय के सबसे बड़े गुरुद्वारों में से एक है l
करतारपुर साहिब कॉरिडोर, भारत के गुरदासपुर जिले में स्थिति डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा को पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को जोड़ता है।
इससे पहले,
केंद्र सरकार ने करतापुर साहिब कॉरिडोर (Kartarpur Sahib corridor) को बुधवार से दोबारा खोलने की जानकारी दी है।
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करतापुर साहिब जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को यात्रा के लिए कुछ जरूरी नियमों का ख्याल रखना होगा।
सभी श्रद्धालुओं को यात्रा के लिए RT-PCR टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन की पूरी डोज लगने का सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य होगा।
साथ ही RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए।
करतारपुर में गुरुद्वारा का देखभाल करने वाली संस्था पाकिस्तान के Evacuee TrustProperty Board के चेयरमैन, आमीर अहमद ने बताया कि कोरोना से जुड़े जो प्रोटोकॉल पूरे देश में लागू हैं,
वहीं प्रोटोकॉल करतापुर कॉरिडोर से आने वाले श्रद्धालुओं पर लागू होंगे।
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अहमद ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं के शरीर के तापमान को चेक किया जाएगा और कोरोना के लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति को अलग-थलग कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि RT-PCR की रिपोर्ट 72 घंटे से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए।
पूरी यात्रा के दौरान हमेशा मास्क लगाए रखना होगा और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालना करना होगा।
इसके अलावा बीच-बीच में सैनिटाइज स्टेशंस भी होंगे।
अहमद ने यह भी साफ किया कि वहां मौके पर कोई कोरोना जांच नहीं किया जाएगा।
ऐसे में सभी यात्रियों के लिए जरूरी है कि वह पहले जांच कराकर और नेगेटिव कोविड रिपोर्ट के साथ आएं।
करतारपुर कॉरिडोर को दोबारा खोलने का फैसला गुरु नानक देव की जंयती के मौके पर मनाए जाने वाले गुरुपर्व से ठीक तीन दिन पहले किया गया।
गुरुपर्व शुक्रवार को है। बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को कोरोना महामारी के चलते पिछले साल मार्च 2020 में बंद किया था।
गुरुद्वारा दरबार साहिब सिखों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है।
सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक देव ने अपने जीवन का आखिरी समय यहीं बिताया था।