“Operation Sindoor” News : पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर भारत का हमला

पहलगाम हमले का भारत ने बदला लिया, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें लश्कर-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर भी शामिल है। भारत की यह कार्रवाई केंद्रित और नपी-तुली थी, जिसका उद्देश्य तनाव को और बढ़ाना नहीं था.

"Operation Sindoor" News : पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर भारत का हमला

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इस्लामाबाद: पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए भारत ने आज पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में कम से कम 9 जगहों पर आतंकवादी ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया है।

यह हमला पहलगाम आतंकी हमले के दो हफ्ते बाद हुआ है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इंडियन आर्मी ने ट्वीट किया “जस्टिस इस सर्वड (Justice Is Sereved ) “

आइये पहले जान लेते है की वो 9 ठिकाने कौन-कौन से है l

  1. बहावलपुर (#Bahawalpur)
  2. मुरीदके (Muridke)
  3. गुलपुर 
  4. सवाई 
  5. बिलाल कैंप
  6. कोटली कैंप 
  7. बरनाला कैंप 
  8. सरजल कैंप 
  9. मेह्मूना कैंप 

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भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा है कि “थोड़ी देर पहले भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया,

जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया,

जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें गाइड किया गया था।”

बयान में कहा गया है कि “हमारी कार्रवाई केंद्रित, नपी-तुली और गैर-बढ़ी हुई प्रकृति की रही है। किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है।

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भारत ने लक्ष्यों के चयन और उन्हें निशाना बनाने के तरीके में काफी संयम दिखाया है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पीओके में जिन 9 जगहों पर पाकिस्तान के ठिकानों पर हमले किए हैं,

उनके नाम हैं बहावलपुर, मुरीदके, गुलपुर, भींबर, ⁠चक अमरू, ⁠बाघ, ⁠कोटली,⁠ सियालकोट और ⁠मुजफ्फराबाद।

ये वो ठिकाने हैं, जहां आतंकियों के ठिकाने थे। हम आपको बताते हैं कि इन इन जगहों पर कौन कौन से आतंकी संगठन एक्टिवेट थे, भारत ने किन आतंकी संगठनों को निशाना बनाया है।

  • बहावलपुर: अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 100 किमी दूर। यह JeM का प्रमुख हेडक्वार्टर है, जिसकी स्थापना मसूद अजहर ने यहीं की थी। पठानकोट हमले और पुलवामा हमले की साजिश यहीं से रची गई थी।
  • मुरीदके: सीमा से 30 किमी दूर, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और इसकी फ्रंट संस्था जमात-उद-दावा (JuD) का सेंटर। यह लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य प्रशिक्षण और संचालन केंद्र है, जहाँ से 26/11 मुंबई हमले की योजना बनाई गई थी।
  • गुलपुर: एलओसी से 35 किमी दूर, पुंछ-राजौरी (2023 पुंछ हमले और 2024 में तीर्थयात्रियों पर हुए हमले की साजिश यहीं से रची गई थी)
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  • सवाई: पाक अधिकृत कश्मीर के अंदर 30 किमी दूर। सोनमर्ग हमले, गुलमर्ग हमले और हाल ही में पहलगाम हमले से जुड़ा। LOC के बेहद करीब स्थित ये कैंप घुसपैठ के लिए बेहद एक्टिव है। यह ISI की निगरानी में रहता है और हर ऑपरेशन के पहले यहीं मीटिंग होती है।
  • बिलाल कैंप: जेईएम लॉन्चपैड- यह केंद्र लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों से जुड़ा हुआ है।
  • कोटली कैंप: एलओसी से 15 किमी दूर, राजौरी के सामने। ISI समर्थित यह संगठन कश्मीर में हाई वैल्यू टारगेट रहा है। LoC के बेहद पास होने से घुसपैठ का मुख्य रूट भी यहीं से जाता है।
  • बरनाला कैंप: एलओसी से 10 किमी दूर, राजौरी के सामने- आतंकी संगठन जमात उद दावा का केन्द्र। अहले हदीस ब्रांडिंग के पीछे JuD का नया वैचारिक और कट्टरपंथी एक्सटेंशन इस केन्द्र को कहा जाता है। यहां से LeT के लिए फंडिंग, ट्रेनिंग और वैचारिक जहर फैलाया जाता है।
  • सरजल कैंप: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 8 किमी दूर, सांबा-कठुआ के सामने (जेईएम शिविर)। यहां हिजबुल मुताहिदीन के केन्द्र को धमाके में उड़ा दिया गया है। PoK के इस सेक्टर में यह संगठन घुसपैठ की तैयारी, नक्शा, और ग्राउंड ट्रेनिंग देता है।
  • मेहमूना कैंप: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी दूर, सियालकोट (हिजबुल मुजाहिदीन ट्रेनिंग सेंटर)- यह एक कम चर्चित, लेकिन बेहद घातक सेंटर है, जो कश्मीर में लोकल भर्ती और ट्रेनिंग करता है। 1990 के दशक में भी सक्रिय था, अब नए नाम से फिर खड़ा हो रहा है।

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सैन्य हमले ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए। सूत्रों ने कहा कि सभी नौ लक्ष्यों पर हमले सफल रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर की बारीकी से निगरानी कर रहे थे। इस हमले में कम से कम 90 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट है।

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बोफोर्स ने दिखाई थी ताकत : 

बोफोर्स तोप ने कारगिल युद्ध में अपनी ताकत साबित की। ऑपरेशन विजय में कारगिल ने पाकिस्तान को घुटने पर लाने में अहम भूमिका अदा की थी। कारगिल युद्ध में भारत की सफलता का श्रेय तोपखाने के प्रभावी उपयोग को जाता है। बोफोर्स FH-77B हॉवित्जर, एक 155 मिमी की तोप, ने अपनी उल्लेखनीय सटीकता और रेंज के कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह तोप दुश्मन के बंकरों को कमजोर करने और उनकी सप्लाई लाइनों को बाधित करने में सहायक थी। इससे यह युद्ध के सबसे बेहतरीन हथियारों में से एक बन गई।

Radha Kashyap: