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नई दिल्ली (समयधारा) : एक तरफ पूरा विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा है l
तो दूसरी तरफ भारत और चीन एक दूसरें के साथ बॉर्डर पर झड़प करने में मशगुल है l
15 जून के बाद एक बार फिर सीमा पर भारत और चीन के बीच झड़प का मामला सामने आया है l
इस बार भारत (India) ने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) के पैंगोंग सो (Pangong Tso) क्षेत्र में यथास्थिति बदलने के लिए चीनी सेना द्वारा की जा रही घुसपैठ को नाकाम कर दिया है।
चीनी लद्दाख में पैंगोंग झील (Pangong Lake) के पास यथास्थिति को बदलने के भारतीय सेना (Indian Army) के आरोप को खारिज कर दिया है।
चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governor of Ladakh) आर के माथुर (R K Mathur)
दिल्ली पहुंचकर वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की जानकारी दी है। फिलहाल, दोनों ही तरफ की सेनाएं वहां की स्थिति को लेकर बातचीत कर रही हैं।
मीडिया के सूत्रों ने बताया कि भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर,
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति को समझने के लिए संबंधित व्यक्तियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं।
चर्चाओं के दौरान यह तय किया गया है कि भारत किसी भी स्थिति के लिए तैयार है।
सूत्रों ने कहा कि फिलहाल सीमा पर वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है।
हालांकि, झड़प के दौरान दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों के हताहत होने की पुष्टि होनी बाकी है।
मुद्दे को हल करने के लिए चुशुल में एक ब्रिगेड कमांडर-स्तर की मीटिंग चल रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना शनिवार और रविवार की रात की है।
अब चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में विवादित सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता में लगे हुए हैं।
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भारतीय सेना द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि
29 अगस्त और 30 अगस्त 2020 की रात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में,
पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया और उसने यथास्थिति को बदलने के लिए सैन्य घुसपैठ भी की।
सेना ने अपने बयान में कहा कि भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास PLA की गतिविधि को नाकाम कर दिया।
साथ ही हमारी स्थिति मजबूत करने और चीनी इरादों को विफल करने के लिए भी उपाय किए।
भारतीय सेना ने यह भी कहा कि वे बातचीत के माध्यम से शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है,
लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी वे समान रूप से दृढ़ हैं।
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वहीं, चीन ने पैंगोंग सो के उत्तर में अपनी वर्तमान सैन्य स्थिति से पीछे हटने से इनकार कर दिया है।
साथ ही पैंगॉन्ग सो में चीन ने फिंगर 5 और 8 के बीच अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
जबकि पीएलए मई के शुरूआत से ही फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक के कब्जे वाले 8 किलोमीटर के क्षेत्र में पीछे हटने से इनकार कर चुका है।
जबकि भारत ने चीन से कहा है कि वह पैंगोंग सो से अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटा ले।
दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर करीब 4 महीने से गतिरोध बना हुआ है।
कई स्तरों की बाचतीच के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली और अब भी यहां गतिरोध जारी है।
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भारत को यह भी पता चला है कि चीनी पक्ष ने LAC- पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश)
और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) के तीन क्षेत्रों में सेना, तोपखाने और ऑर्मर का निर्माण शुरू कर दिया है।
इतना ही नहीं चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के पास भी अपने सैनिक इकट्ठे कर लिए हैं,
जो कि भारत, नेपाल और चीन के बीच कालापानी घाटी में स्थित है।
भारत ने चीन से पैंगोंग झील और गोगरा से सेनाएं हटाने का आग्रह किया था, जो उसने अब तक नहीं माना है। चीनी सैनिक डेपसांग में भी मौजूद हैं।
चीन ने LAC पर विभिन्न स्थानों पर स्थिति बदली है और वह भारतीय क्षेत्र के अंदर की ओर बढ़ रहा है।
भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और इस मामले को सभी स्तरों पर उठा रहा है।
बता दें कि इससे पहले 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे,
जबकि चीन ने अपने हताहतों की संख्या नहीं बताई है।
चीनी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर और विशेष रूप से गलवान घाटी में 5 मई से ही चढ़ाई करनी शुरू कर दी थी।
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