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Father’s Day Special – जिम्मेदारी-खुद्दारी का नाम है, पिता से मेरी पहचान है…

आत्मविश्वास-जिम्मेदार-रहनुमा- न जानें किन-किन नामों से जाने जाते है पिता, जानियें मुंबई के चाल से अपनी अलग पहचान बनानेवाले पिता की कहानी.

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नयी दिल्ली (समयधारा) : दोस्तों आज फादर्स डे (Father’s Day) है l

प्रतिवर्ष जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे भारत सहित विश्वभर में धूमधाम से मनाया जाता है।

इस वर्ष फादर्स डे रविवार,18 जून 2023 (Father’s Day 2023) को है और दुनियाभर में लोग अपने पिता को प्यार और सम्मान देने के लिए फादर्स डे खासतौर से मनाते है।

आज मैं आपको भारतीय पिता की वो तस्वीरें दिखाऊंगा जो पिता की एक अलग ही तस्वीर आपके सामने लायेंगी l

Happy Father’s Day 2023:नाम दिया,पहचान दिया पापा…आपने ही मेरे वजूद को आकार दिया,भेजें ऐसे ही फादर्स डे Qutoes

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एक जिम्मेदार ताकतवर शक्तिशाली फौलादी शख्सियत के अलावा भी इनकी एक अलग पहचान होती है l 

आज सबसे पहले राजस्थान के एक ही परिवार के दो से तीन पिताओं की अलग-अलग युगों में पैदा हुए लोगों की कहानी बयां करूंगा l

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मेरे दोस्त विनोद के दादाजी का नाम गिरधारीलाल था उनकी कुल नौ संताने थी 3 लड़के और 6 लड़कियां l गिरधारीलाल के कुल 7 भाई व 2 बहनें थी l

यानी एक परिवार नहीं पूरा कुनबा l उस ज़माने में ढेर सारे बच्चे होना शान माना जाता था l इसलिए विनोद के परदादा ने और दादा ने बच्चें पैदा करने में कोई समझौता नहीं किया l

Father’s Day 2023:आ्रज है फादर्स डे,जानें क्यों शुरू किया गया था फादर्स डे सेलिब्रेशन

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विनोद के परदादा के पुत्र गिरधारीलाल यानी विनोद के दादा ने पुरे परिवार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए राजस्थान से मुंबई की और पलायान किया l

यहाँ आकर उन्होनें संघर्ष करते हुए न सिर्फ अपने परिवार बल्कि राजस्थान के करीब 5000 से 10000 परिवार को रोजगार दिया l

मात्र दो रुपये महीने की नौकरी से उन्होंने कई परिवार के घर चुल्हा जलाया l Fathers-day-special hindi-blogs-on-father

गिरधारीलाल का व्यक्तित्व इतना निराला था की उनके नाम का सिक्का हर तरफ बोलता था l

उन्होंने अथक मेहनत से अपनी पहचान के अलावा अपने गाँव सहित पूरे राजस्थान का नाम उंचा किया l

लोग न सिर्फ उन्हें अपना आइडियल मानते थे बल्कि उनके सम्मान में वह अपना सर झुका देते थे l

उच्च शिक्षा या टेक्नोलॉजी नहीं आज भी बच्चों के भविष्य की बुनियाद है ‘माँ’

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आप लाख पैसा कमा लो पर अगर आपकी इज्जत नहीं तो वह पैसा किस काम का पर गिरधारीलाल इन सबसे परे थे,

उन्होंने न सिर्फ पैसा कमाया बल्कि इज्जत भी कमाई l वक्त बिता उन्होंने मुंबई के सभी कोनों में अपने परिवार को फैलाया l

खुद कुर्ला के एक चाल में रहकर सिर्फ 10 बाय 10 के घर से न सिर्फ अपने भाइयों और बहनों की शादी करायी बल्कि उन्हें एक उज्जवल भविष्य दिया l

रोजगार के अलावा उनका हर जगह साथ दिया l अपने 6 पुत्रियों और 3 पुत्रों की शादी में दहेज़ के साथ उनके भविष्य को संवारने के लिए हर संभव मदद की l

यह तो हुई एक ऐसे पिता गिरधारीलाल की कहानी जो लगभग सभी लोगों का चेहता और आदर्श बना l

अब गिरधारीलाल के बड़े पुत्र यानी विनोद के पिता देवीलाल की कहानी आपको सुनाते है l

गिरधारीलाल के लाड प्यार में पलें देवीलाल की दुनिया ही अलग थी, मस्त मौजी और जरुरत से ज्यादा लापरवाह l

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बहुत ही सुरीली आवाज के धनि देवीलाल ने जैन मंदिर में भजन कीर्तन करना अपने युवां साथियों के साथ शुरू किया l

Thanks उनको जिसने ‘Mothers Day’ बनाया, ‘माँ के अस्तित्व के नमन’ को यादगार बनाया

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मंदिर में दान-दक्षिणा देना हो या फिर कही घुमने जाना हो अपने पिता के पैसों पर देवीलाल ने जी भरकर खर्चा किया l

इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा समय के साथ शादी के कुछ ही समय बाद गिरधारीलाल ने देवीलाल को घर से अलग कर दिया l

उसे जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए उसपर थोड़ा सा सख्त कदम उठाया l Fathers-day-special hindi-blogs-on-father

यहाँ से शुरू होती है, इस सच्ची कहानी के दूसरें पिता देवीलाल की दुनिया l

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घर से अलग होने के बाद देवीलाल की जिंदगी का संघर्ष शुरू हुआ l लाड प्यार और बिना अभावों के जीने वाले व्यक्ति के लिए यह संघर्ष कही से भी कम न था l

एक आवाज में सभी फरमाईशों का पूरा हो जाना और अब संघर्ष करते हुए दो रोटी कमाना देवीलाल के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा थाl

पर अपने अहम्-खुद्दार व्यक्तित्व के मालिक देवीलाल ने संघर्ष करना शुरू कर दिया था l

देवीलाल की विशेषता थी उसका जिंदापन, किसी भी हालातों में हार न मानना और हर समय अपने व्यक्तित्व को जिंदादिल रखनाl

लोग जब उनसे मिलते थे तो वह बस कुछ पल में ही काचोरीलाल के हो जाते थे l लोग उनसे इस तरह से मिलते थे जैसे वह उन्हें कई जमाने से जानते हो l

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उनका मिलनसार व्यक्तित्व ही था कि देवीलाल के पुत्र के दोस्त भी पहले देवीलाल से मिलते थे उनके साथ समय गुजारते थे बल्कि वह उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते थे l

जिंदगी के कई संघर्षो को पार करने के बाद देवीलाल ने करीब दो महीने पहले ही दम तोड़ दिया l

अपने अंतिम दो सालों में करीब एक साल तक वह ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हुए l जब 2022 में उन्हें पहला ब्रेनस्ट्रोक हुआ था, तब उन्हें लकवा मार गया था l

पर डॉक्टर सहित सभी को चौकातें हुए वह फिर से अपने पैरों  पर खड़े हो गए थे l अपने भाइयों और बहनों को वह अपने पुत्रों से भी ज्यादा प्यार करते थे l

यहाँ इन दो पिताओं की कहानी से क्या सिखने को मिलता है और क्यों आज इस फादर्स डे पर मैं इनकी कहानी सूना रहा हूँ l

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तो चलियें जानते है :

पहले पिता यानी गिरधारीलाल से हमें अपने कर्तव्य / मेहनत करने के जूनून / यह विश्वास की सफलता मिलेगी l यानी जिंदगी में हार न मानने का हुनर सीखनें को मिलता है l

दूसरें पिता यानी देवीलाल से हमें हर समय जिंदादिल रहने और हर परिस्थियों में भी हंसते मुस्काराते हुए अडिग खड़े रहने का सबक मिलता है l

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संघर्षो और जिम्मेदारियों का पुतला है पिता

कर्तव्यों और आदर्शो का देवता है पिता

न जाने कौन से अच्छे कर्मों का वरदान है पिता

भविष्य की राह दिखाने वाला रहनुमा है पिता

जब-जब आई परेशानियां उसका समाधान है पिता

नयी दिशा नया जोश भरनेवाला इंसान है पिता

हमारी हर सोच हर चाल का जवाब है पिता

बेखबर-अनजाने हर वार की ढाल है पिता

डगमगाएं कदम तो उसका सहारा है पिता

जिंदादिल टिमटिमाता तारा है पिता 

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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